Sunday, March 4, 2018

बुरा न मानो होली है

राजनीतिकर्मी
विमलेन्द्र निधि     ः मुझे तो अपनो ने लुटा गैरोमे कहाँ दम था
राजेन्द्र महतो     ः झण्डा गारेके दम लिया
मो. लालबाबु राउत ः अब लुटनेकी बारी मेरी
ज्ञानेन्द्र यादव    ः एनजिओ टू मन्त्रालय
रामअशिष यादव    ः गंगासागर सफाई काम लागल
लालकिशोर साह     ः मच्छरपालिकाके नहरपालिका नहि बनए देव
रीता झा        ः भाइजी हमरो तारि देलक
रेणु झा        ः आन्दोलन काम लागल
विभा ठाकुर     ः महतो ने धोखा दिया
रामचन्द्र झा     ः माओवादीमे घूरएके फाइदा नहि भेल
वृषेशचन्द्र लाल     ः ठाकुरजीके बाद हमरे पालो
डा. विजय कुमार सिंह ः आब फेर सँ डाक्टरी करब 
शत्रुधन महतो     ः हम मौन व्रतमे छी
परमेश्वर साह     ः महन्थ जी जिन्दावाद
रामसरोज यादव     ः विमलो मालिकके पाछा छोडि देलहुँ
मनोज साह     ः धोखराक माइर धोखरे जनै छै
रघुविर महासेठ     ः बल्ल बाजी मारली
राजीव झा        ः कखनो जनकपुर, कखनो काठमाण्डू, कखनो विदेश
जुली महतो     ः माल है तो क्या गम
जीवनाथ चौधरी    ः अखनो विमले जी काम लागत
सरिता शर्मा     ः हुनकर रिमोट हमरे लग छै
दीपेन्द्र साह     ः फोटो खिच दू रोड मिलबै छी
जानकीराम साह     ः नगरपालिकाके पैसा नहि, ईटा भट्टाक पैसा अछि
रामशंकर पासवान     ः हमहु ककरो सँ कम नहि
सुदर्शन सिंह     ः लहरेमे हमहु जित गेलहुँ
महाशंकर ठाकुर     ः आब कतह जाउ, भट्टराईयो नहि काज के
राजकिशोर यादव     ः जान बचे तो लाख उपाय
दिनेश साह     ः नगरमे भाइके आनएके सपना पूरा नहि भेल
जगदीश महासेठ     ः झिझिर कोना अखनो खेलब
बजरंगप्रसाद साह     ः अब मेरा सब किछु निधी जी है
कोमलकान्त झा     ः एहिबेर मालिकोके सबक सिखा दिया
गणेश तिवारी     ः नारद मुनी
प्रफुल्ल घिमिरे     ः हमर बात नहि मानबे त एहिना होतौ
शितल झा         ः मौकाक तलाशमे
रोशन जनकपुरी     ः विद्वान घोड़ा
रामचन्द्र मण्डल     ः माल कमाएके तर्कीव लोक हमरासँ सिखए
उदयकान्त ठाकुर     ः घरसँ चाह दोकान
मो. असगर अली     ः झिझिरकोना झिरझिरकोना कोन कोना जाउ
बिन्दु ठाकुर     ः आन्दोलन बेकार हो गया 
राजु चौधरी     ः महतो है साथ तो क्या गम है ।
ज्ञानेन्द्र झा ज्ञानु     ः विद्यार्थीसभ हमर एक इशारापर नाचत
व्यापारी
ललित प्रसाद साह ः प्रशासनके चापलुसी तऽ करबे करब
जितेन्द्र प्रसाद साह ः तरघुइयाँ
शिवशंकर साह हिरा ः कुछो नही मिला
सुरेन्द्र भण्डारी ः साहु जी नहि छी त कि भेलै ?
विजय साह हलुवाई ः कलवार सब ने धोखा दिया
जितेन्द्र कुमार महासेठ     ः हम सभ ठाम फिट
मनोज चौधरी (बस व्यवसायी) ः कमाईके लुइर लोक हमरासँ सिखए
विजय झुनझुनवाला         ः रामाशिषको दिमाग हमने दिया ।
पवन कुमार ठाकुर        ः टिभी तऽ चलिए गेल आब घरो चलि जाएत
दशरथ साह (होटल व्यवसायी)     ः फाटलो पूरान चलतै
सरेश सर्राफ मुन्ना         ः पुरान खेलाडी
प्रमोद अग्रवाल(पी मेडिसिन)     ः सभके हिसाब किताब हएत
हंशराज साह         ः जे बचाए ओही पाटीमे जाएब ।
सोहन ठाकुर        ः क्लवक अध्यक्ष हम बना देब
रोशन शेखर जयसवाल    ः निधिके आगा मेयर के कोन काम
निरंजन साह         ः आब बाप बेटा दुनू भिएबै
बलराम महतो(ठेकेदार)     ः बड मुस्लिक हो गया ।
प्रकाशचन्द्र साह         ः नाम बड़का बाबु आ धोती भाड़ापर
अमरनाथ गुप्ता        ः जानकी मन्दिरसँ कोन कम हमर दरबार
बैद्यनाथ साह(डिसबला)     ः रामअशिषके बाद हमही
पवन सिंघानिया(समाजसेवी)     ः लास्ट आइटमक ठेकेदार
 श्यामप्रसाद साह         ः हमरा व्यापारीए रहए दू
साहित्यकार÷कलाकार
डा. राजेन्द्र विमल         ः फेर मोन होइया ढाका टोपी लगबितहुँ
डा. रेवतीरमण लाल        ः मलंगियाके बाद हमही छी
रामभरोस कापडि़         ः बुढ़ घोडीके लाल लगाम
परमेश्वर कापडि़         ः आब बिना कामक छी
डा. पशुपतिनाथ झा         ः एक्के तिरमे परमेशराके सन्ठ कएली
डा. सुरेन्द्र लाभ         ः भलेही विजयके सिकाइत करी, हमहु पदक अभिलाशी छी
डा. भोगेन्द्र झा         ः जतए जतए झाजी(रामचन्द्र झा)         ओतए ओतए हमहुँ
विजय दत्त             ः केपी मालिक है तो क्या गम
सुनिल मल्लिक        ः हमरासँ बड़का व्यापारी के अछि ?
रामनारायण ठाकुर         ः मरखाह साँढ
सुनिल मिश्र         ः पुरान गुण्डा
रमेशरंजन झा         ः पवित्र पापी
गंगाकान्त झा ः        ः मुर्ख गोसाईँ
विष्णुकान्त मिश्र         ः दारु पियाएब तऽ साइन करब
अनिलचन्द्र झा         ः कहिओ एमाले, कहिओ कांग्रेसी
परमेश झा         ः अगिला बेर हमही बनब अध्यक्ष
रविन्द्र झा             ः नसिबे फुटल अछि
बिएन पटेल     ः आब बनब निर्देशक
प्रियंका झा     ः अखन एक्केटा अछि
नविन कुमार मिश्र     ः कलाकारक व्यापारी
संगिता देव    ः प्रयोगक पात्र
ललित कामत     ः गाँजा पिएके है तऽ आउ
अशोक दत्त     ः बबोके चरेलहुँ
दिगम्बर झा दिनमणि ः दूइए मिनेट बाजब
काशीकान्त झा     ः नयाँ पमरीयाके ....पाछु ढोलना
विजय दत्त मणि     ः आब हमरो लोक चिन्हैया
रीना यादव    ः बिएन है तो क्या गम है

पत्रकार
राजेश्वर नेपाली     ः मेमोरी अभी भी स्ट्रोंग है ।
वृजकुमार यादव     ः पैसाके पाछा ककरो नहि चिन्हब
अनिल मिश्र     ः एहि बेर लास्टे अछि ।
राजेश कुमार कर्ण     ः वृशेष जी आएल त साँस बचल
उमेश साह         ः फेरसँ घर घुरबाक मन अछि ।
श्यामसुन्दर शशी     ः चेला बन गया मालिक, अब क्या होगा मेरा
सुजीतकुमार झा     ः हमरा कोई नहि पुछैय
अजय कुमार झा     ः हम सरकारी मिडिया छी ।
अजय अनुरागी     ः काज देलक सितल निवास
हिमांशु चौधरी     ः बिसपिपरी
शैलेन्द्र झा         ः सभके उल्लु बना अपने जितलहुँ
नित्यानन्द मण्डल     ः हारकर जितनेबालोको बाजिगर कहते है
अतिश मिश्र     ः अब हम पावरफुल हो गया
इश्वरचन्द्र झा     ः छोट खिखिरके मोट नाङ्गरि
जयन्त ठाकुर     ः मेहनत हम्मर नाम भाइजीके
रोशन कुमार झा     ः एहिबेर मात्रे विवाह
अशोक रौनियार     ः राम चौकके दारु चौक बनाएब
पुरन गुप्ता     ः कतबो करबे बापरे बाप तइयो रहतौ हमरे राज
किरण कर्ण     ः पत्रकार आ मानव अधिकार हमर जेबीमे
धर्वेन्द्र झा        ः हमरा कोइ नहि पुछैय
प्रमोद साह रंगीले     ः दारु पिएबा त न्यूज क देबो
वीरेन्द्र रमण     ः हमरा से बेसी के बुझत
दीपक कर्ण     ः कम्बल ओढि घी पियब
धैर्यकान्त दत्त     ः काका के सब ढौआ बुइर गेलै

 संघ संस्था
अमरचन्द्र अनिल    ः अब भी हम जवान है ।
प्रमोद चौधरी     ः लाखक लाख लुटलहुँ तइयो हारि गेलाह
शम्भुप्रसाद शाह प्रेमी ः कमिटी हमर कमाइ अछि ।
सरोज मिश्र     ः ढौवा देबा त चुपे रहबो
सुशिल कर्ण     ः जाहि थारिमे खाएब ओकर छेद करब
मनमोहन साह     ः नाम पर नहि जाएब

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