राजनीतिकर्मी
विमलेन्द्र निधि ः मुझे तो अपनो ने लुटा गैरोमे कहाँ दम था
राजेन्द्र महतो ः झण्डा गारेके दम लिया
मो. लालबाबु राउत ः अब लुटनेकी बारी मेरी
ज्ञानेन्द्र यादव ः एनजिओ टू मन्त्रालय
रामअशिष यादव ः गंगासागर सफाई काम लागल
लालकिशोर साह ः मच्छरपालिकाके नहरपालिका नहि बनए देव
रीता झा ः भाइजी हमरो तारि देलक
रेणु झा ः आन्दोलन काम लागल
विभा ठाकुर ः महतो ने धोखा दिया
रामचन्द्र झा ः माओवादीमे घूरएके फाइदा नहि भेल
वृषेशचन्द्र लाल ः ठाकुरजीके बाद हमरे पालो
डा. विजय कुमार सिंह ः आब फेर सँ डाक्टरी करब
शत्रुधन महतो ः हम मौन व्रतमे छी
परमेश्वर साह ः महन्थ जी जिन्दावाद
रामसरोज यादव ः विमलो मालिकके पाछा छोडि देलहुँ
मनोज साह ः धोखराक माइर धोखरे जनै छै
रघुविर महासेठ ः बल्ल बाजी मारली
राजीव झा ः कखनो जनकपुर, कखनो काठमाण्डू, कखनो विदेश
जुली महतो ः माल है तो क्या गम
जीवनाथ चौधरी ः अखनो विमले जी काम लागत
सरिता शर्मा ः हुनकर रिमोट हमरे लग छै
दीपेन्द्र साह ः फोटो खिच दू रोड मिलबै छी
जानकीराम साह ः नगरपालिकाके पैसा नहि, ईटा भट्टाक पैसा अछि
रामशंकर पासवान ः हमहु ककरो सँ कम नहि
सुदर्शन सिंह ः लहरेमे हमहु जित गेलहुँ
महाशंकर ठाकुर ः आब कतह जाउ, भट्टराईयो नहि काज के
राजकिशोर यादव ः जान बचे तो लाख उपाय
दिनेश साह ः नगरमे भाइके आनएके सपना पूरा नहि भेल
जगदीश महासेठ ः झिझिर कोना अखनो खेलब
बजरंगप्रसाद साह ः अब मेरा सब किछु निधी जी है
कोमलकान्त झा ः एहिबेर मालिकोके सबक सिखा दिया
गणेश तिवारी ः नारद मुनी
प्रफुल्ल घिमिरे ः हमर बात नहि मानबे त एहिना होतौ
शितल झा ः मौकाक तलाशमे
रोशन जनकपुरी ः विद्वान घोड़ा
रामचन्द्र मण्डल ः माल कमाएके तर्कीव लोक हमरासँ सिखए
उदयकान्त ठाकुर ः घरसँ चाह दोकान
मो. असगर अली ः झिझिरकोना झिरझिरकोना कोन कोना जाउ
बिन्दु ठाकुर ः आन्दोलन बेकार हो गया
राजु चौधरी ः महतो है साथ तो क्या गम है ।
ज्ञानेन्द्र झा ज्ञानु ः विद्यार्थीसभ हमर एक इशारापर नाचत
व्यापारी
ललित प्रसाद साह ः प्रशासनके चापलुसी तऽ करबे करब
जितेन्द्र प्रसाद साह ः तरघुइयाँ
शिवशंकर साह हिरा ः कुछो नही मिला
सुरेन्द्र भण्डारी ः साहु जी नहि छी त कि भेलै ?
विजय साह हलुवाई ः कलवार सब ने धोखा दिया
जितेन्द्र कुमार महासेठ ः हम सभ ठाम फिट
मनोज चौधरी (बस व्यवसायी) ः कमाईके लुइर लोक हमरासँ सिखए
विजय झुनझुनवाला ः रामाशिषको दिमाग हमने दिया ।
पवन कुमार ठाकुर ः टिभी तऽ चलिए गेल आब घरो चलि जाएत
दशरथ साह (होटल व्यवसायी) ः फाटलो पूरान चलतै
सरेश सर्राफ मुन्ना ः पुरान खेलाडी
प्रमोद अग्रवाल(पी मेडिसिन) ः सभके हिसाब किताब हएत
हंशराज साह ः जे बचाए ओही पाटीमे जाएब ।
सोहन ठाकुर ः क्लवक अध्यक्ष हम बना देब
रोशन शेखर जयसवाल ः निधिके आगा मेयर के कोन काम
निरंजन साह ः आब बाप बेटा दुनू भिएबै
बलराम महतो(ठेकेदार) ः बड मुस्लिक हो गया ।
प्रकाशचन्द्र साह ः नाम बड़का बाबु आ धोती भाड़ापर
अमरनाथ गुप्ता ः जानकी मन्दिरसँ कोन कम हमर दरबार
बैद्यनाथ साह(डिसबला) ः रामअशिषके बाद हमही
पवन सिंघानिया(समाजसेवी) ः लास्ट आइटमक ठेकेदार
श्यामप्रसाद साह ः हमरा व्यापारीए रहए दू
साहित्यकार÷कलाकार
डा. राजेन्द्र विमल ः फेर मोन होइया ढाका टोपी लगबितहुँ
डा. रेवतीरमण लाल ः मलंगियाके बाद हमही छी
रामभरोस कापडि़ ः बुढ़ घोडीके लाल लगाम
परमेश्वर कापडि़ ः आब बिना कामक छी
डा. पशुपतिनाथ झा ः एक्के तिरमे परमेशराके सन्ठ कएली
डा. सुरेन्द्र लाभ ः भलेही विजयके सिकाइत करी, हमहु पदक अभिलाशी छी
डा. भोगेन्द्र झा ः जतए जतए झाजी(रामचन्द्र झा) ओतए ओतए हमहुँ
विजय दत्त ः केपी मालिक है तो क्या गम
सुनिल मल्लिक ः हमरासँ बड़का व्यापारी के अछि ?
रामनारायण ठाकुर ः मरखाह साँढ
सुनिल मिश्र ः पुरान गुण्डा
रमेशरंजन झा ः पवित्र पापी
गंगाकान्त झा ः ः मुर्ख गोसाईँ
विष्णुकान्त मिश्र ः दारु पियाएब तऽ साइन करब
अनिलचन्द्र झा ः कहिओ एमाले, कहिओ कांग्रेसी
परमेश झा ः अगिला बेर हमही बनब अध्यक्ष
रविन्द्र झा ः नसिबे फुटल अछि
बिएन पटेल ः आब बनब निर्देशक
प्रियंका झा ः अखन एक्केटा अछि
नविन कुमार मिश्र ः कलाकारक व्यापारी
संगिता देव ः प्रयोगक पात्र
ललित कामत ः गाँजा पिएके है तऽ आउ
अशोक दत्त ः बबोके चरेलहुँ
दिगम्बर झा दिनमणि ः दूइए मिनेट बाजब
काशीकान्त झा ः नयाँ पमरीयाके ....पाछु ढोलना
विजय दत्त मणि ः आब हमरो लोक चिन्हैया
रीना यादव ः बिएन है तो क्या गम है
पत्रकार
राजेश्वर नेपाली ः मेमोरी अभी भी स्ट्रोंग है ।
वृजकुमार यादव ः पैसाके पाछा ककरो नहि चिन्हब
अनिल मिश्र ः एहि बेर लास्टे अछि ।
राजेश कुमार कर्ण ः वृशेष जी आएल त साँस बचल
उमेश साह ः फेरसँ घर घुरबाक मन अछि ।
श्यामसुन्दर शशी ः चेला बन गया मालिक, अब क्या होगा मेरा
सुजीतकुमार झा ः हमरा कोई नहि पुछैय
अजय कुमार झा ः हम सरकारी मिडिया छी ।
अजय अनुरागी ः काज देलक सितल निवास
हिमांशु चौधरी ः बिसपिपरी
शैलेन्द्र झा ः सभके उल्लु बना अपने जितलहुँ
नित्यानन्द मण्डल ः हारकर जितनेबालोको बाजिगर कहते है
अतिश मिश्र ः अब हम पावरफुल हो गया
इश्वरचन्द्र झा ः छोट खिखिरके मोट नाङ्गरि
जयन्त ठाकुर ः मेहनत हम्मर नाम भाइजीके
रोशन कुमार झा ः एहिबेर मात्रे विवाह
अशोक रौनियार ः राम चौकके दारु चौक बनाएब
पुरन गुप्ता ः कतबो करबे बापरे बाप तइयो रहतौ हमरे राज
किरण कर्ण ः पत्रकार आ मानव अधिकार हमर जेबीमे
धर्वेन्द्र झा ः हमरा कोइ नहि पुछैय
प्रमोद साह रंगीले ः दारु पिएबा त न्यूज क देबो
वीरेन्द्र रमण ः हमरा से बेसी के बुझत
दीपक कर्ण ः कम्बल ओढि घी पियब
धैर्यकान्त दत्त ः काका के सब ढौआ बुइर गेलै
संघ संस्था
अमरचन्द्र अनिल ः अब भी हम जवान है ।
प्रमोद चौधरी ः लाखक लाख लुटलहुँ तइयो हारि गेलाह
शम्भुप्रसाद शाह प्रेमी ः कमिटी हमर कमाइ अछि ।
सरोज मिश्र ः ढौवा देबा त चुपे रहबो
सुशिल कर्ण ः जाहि थारिमे खाएब ओकर छेद करब
मनमोहन साह ः नाम पर नहि जाएब
विमलेन्द्र निधि ः मुझे तो अपनो ने लुटा गैरोमे कहाँ दम था
राजेन्द्र महतो ः झण्डा गारेके दम लिया
मो. लालबाबु राउत ः अब लुटनेकी बारी मेरी
ज्ञानेन्द्र यादव ः एनजिओ टू मन्त्रालय
रामअशिष यादव ः गंगासागर सफाई काम लागल
लालकिशोर साह ः मच्छरपालिकाके नहरपालिका नहि बनए देव
रीता झा ः भाइजी हमरो तारि देलक
रेणु झा ः आन्दोलन काम लागल
विभा ठाकुर ः महतो ने धोखा दिया
रामचन्द्र झा ः माओवादीमे घूरएके फाइदा नहि भेल
वृषेशचन्द्र लाल ः ठाकुरजीके बाद हमरे पालो
डा. विजय कुमार सिंह ः आब फेर सँ डाक्टरी करब
शत्रुधन महतो ः हम मौन व्रतमे छी
परमेश्वर साह ः महन्थ जी जिन्दावाद
रामसरोज यादव ः विमलो मालिकके पाछा छोडि देलहुँ
मनोज साह ः धोखराक माइर धोखरे जनै छै
रघुविर महासेठ ः बल्ल बाजी मारली
राजीव झा ः कखनो जनकपुर, कखनो काठमाण्डू, कखनो विदेश
जुली महतो ः माल है तो क्या गम
जीवनाथ चौधरी ः अखनो विमले जी काम लागत
सरिता शर्मा ः हुनकर रिमोट हमरे लग छै
दीपेन्द्र साह ः फोटो खिच दू रोड मिलबै छी
जानकीराम साह ः नगरपालिकाके पैसा नहि, ईटा भट्टाक पैसा अछि
रामशंकर पासवान ः हमहु ककरो सँ कम नहि
सुदर्शन सिंह ः लहरेमे हमहु जित गेलहुँ
महाशंकर ठाकुर ः आब कतह जाउ, भट्टराईयो नहि काज के
राजकिशोर यादव ः जान बचे तो लाख उपाय
दिनेश साह ः नगरमे भाइके आनएके सपना पूरा नहि भेल
जगदीश महासेठ ः झिझिर कोना अखनो खेलब
बजरंगप्रसाद साह ः अब मेरा सब किछु निधी जी है
कोमलकान्त झा ः एहिबेर मालिकोके सबक सिखा दिया
गणेश तिवारी ः नारद मुनी
प्रफुल्ल घिमिरे ः हमर बात नहि मानबे त एहिना होतौ
शितल झा ः मौकाक तलाशमे
रोशन जनकपुरी ः विद्वान घोड़ा
रामचन्द्र मण्डल ः माल कमाएके तर्कीव लोक हमरासँ सिखए
उदयकान्त ठाकुर ः घरसँ चाह दोकान
मो. असगर अली ः झिझिरकोना झिरझिरकोना कोन कोना जाउ
बिन्दु ठाकुर ः आन्दोलन बेकार हो गया
राजु चौधरी ः महतो है साथ तो क्या गम है ।
ज्ञानेन्द्र झा ज्ञानु ः विद्यार्थीसभ हमर एक इशारापर नाचत
व्यापारी
ललित प्रसाद साह ः प्रशासनके चापलुसी तऽ करबे करब
जितेन्द्र प्रसाद साह ः तरघुइयाँ
शिवशंकर साह हिरा ः कुछो नही मिला
सुरेन्द्र भण्डारी ः साहु जी नहि छी त कि भेलै ?
विजय साह हलुवाई ः कलवार सब ने धोखा दिया
जितेन्द्र कुमार महासेठ ः हम सभ ठाम फिट
मनोज चौधरी (बस व्यवसायी) ः कमाईके लुइर लोक हमरासँ सिखए
विजय झुनझुनवाला ः रामाशिषको दिमाग हमने दिया ।
पवन कुमार ठाकुर ः टिभी तऽ चलिए गेल आब घरो चलि जाएत
दशरथ साह (होटल व्यवसायी) ः फाटलो पूरान चलतै
सरेश सर्राफ मुन्ना ः पुरान खेलाडी
प्रमोद अग्रवाल(पी मेडिसिन) ः सभके हिसाब किताब हएत
हंशराज साह ः जे बचाए ओही पाटीमे जाएब ।
सोहन ठाकुर ः क्लवक अध्यक्ष हम बना देब
रोशन शेखर जयसवाल ः निधिके आगा मेयर के कोन काम
निरंजन साह ः आब बाप बेटा दुनू भिएबै
बलराम महतो(ठेकेदार) ः बड मुस्लिक हो गया ।
प्रकाशचन्द्र साह ः नाम बड़का बाबु आ धोती भाड़ापर
अमरनाथ गुप्ता ः जानकी मन्दिरसँ कोन कम हमर दरबार
बैद्यनाथ साह(डिसबला) ः रामअशिषके बाद हमही
पवन सिंघानिया(समाजसेवी) ः लास्ट आइटमक ठेकेदार
श्यामप्रसाद साह ः हमरा व्यापारीए रहए दू
साहित्यकार÷कलाकार
डा. राजेन्द्र विमल ः फेर मोन होइया ढाका टोपी लगबितहुँ
डा. रेवतीरमण लाल ः मलंगियाके बाद हमही छी
रामभरोस कापडि़ ः बुढ़ घोडीके लाल लगाम
परमेश्वर कापडि़ ः आब बिना कामक छी
डा. पशुपतिनाथ झा ः एक्के तिरमे परमेशराके सन्ठ कएली
डा. सुरेन्द्र लाभ ः भलेही विजयके सिकाइत करी, हमहु पदक अभिलाशी छी
डा. भोगेन्द्र झा ः जतए जतए झाजी(रामचन्द्र झा) ओतए ओतए हमहुँ
विजय दत्त ः केपी मालिक है तो क्या गम
सुनिल मल्लिक ः हमरासँ बड़का व्यापारी के अछि ?
रामनारायण ठाकुर ः मरखाह साँढ
सुनिल मिश्र ः पुरान गुण्डा
रमेशरंजन झा ः पवित्र पापी
गंगाकान्त झा ः ः मुर्ख गोसाईँ
विष्णुकान्त मिश्र ः दारु पियाएब तऽ साइन करब
अनिलचन्द्र झा ः कहिओ एमाले, कहिओ कांग्रेसी
परमेश झा ः अगिला बेर हमही बनब अध्यक्ष
रविन्द्र झा ः नसिबे फुटल अछि
बिएन पटेल ः आब बनब निर्देशक
प्रियंका झा ः अखन एक्केटा अछि
नविन कुमार मिश्र ः कलाकारक व्यापारी
संगिता देव ः प्रयोगक पात्र
ललित कामत ः गाँजा पिएके है तऽ आउ
अशोक दत्त ः बबोके चरेलहुँ
दिगम्बर झा दिनमणि ः दूइए मिनेट बाजब
काशीकान्त झा ः नयाँ पमरीयाके ....पाछु ढोलना
विजय दत्त मणि ः आब हमरो लोक चिन्हैया
रीना यादव ः बिएन है तो क्या गम है
पत्रकार
राजेश्वर नेपाली ः मेमोरी अभी भी स्ट्रोंग है ।
वृजकुमार यादव ः पैसाके पाछा ककरो नहि चिन्हब
अनिल मिश्र ः एहि बेर लास्टे अछि ।
राजेश कुमार कर्ण ः वृशेष जी आएल त साँस बचल
उमेश साह ः फेरसँ घर घुरबाक मन अछि ।
श्यामसुन्दर शशी ः चेला बन गया मालिक, अब क्या होगा मेरा
सुजीतकुमार झा ः हमरा कोई नहि पुछैय
अजय कुमार झा ः हम सरकारी मिडिया छी ।
अजय अनुरागी ः काज देलक सितल निवास
हिमांशु चौधरी ः बिसपिपरी
शैलेन्द्र झा ः सभके उल्लु बना अपने जितलहुँ
नित्यानन्द मण्डल ः हारकर जितनेबालोको बाजिगर कहते है
अतिश मिश्र ः अब हम पावरफुल हो गया
इश्वरचन्द्र झा ः छोट खिखिरके मोट नाङ्गरि
जयन्त ठाकुर ः मेहनत हम्मर नाम भाइजीके
रोशन कुमार झा ः एहिबेर मात्रे विवाह
अशोक रौनियार ः राम चौकके दारु चौक बनाएब
पुरन गुप्ता ः कतबो करबे बापरे बाप तइयो रहतौ हमरे राज
किरण कर्ण ः पत्रकार आ मानव अधिकार हमर जेबीमे
धर्वेन्द्र झा ः हमरा कोइ नहि पुछैय
प्रमोद साह रंगीले ः दारु पिएबा त न्यूज क देबो
वीरेन्द्र रमण ः हमरा से बेसी के बुझत
दीपक कर्ण ः कम्बल ओढि घी पियब
धैर्यकान्त दत्त ः काका के सब ढौआ बुइर गेलै
संघ संस्था
अमरचन्द्र अनिल ः अब भी हम जवान है ।
प्रमोद चौधरी ः लाखक लाख लुटलहुँ तइयो हारि गेलाह
शम्भुप्रसाद शाह प्रेमी ः कमिटी हमर कमाइ अछि ।
सरोज मिश्र ः ढौवा देबा त चुपे रहबो
सुशिल कर्ण ः जाहि थारिमे खाएब ओकर छेद करब
मनमोहन साह ः नाम पर नहि जाएब
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