Thursday, January 30, 2014

पवित्र नगरी की अपवित्र कथा

कैलास दास

जनकपुर । कहते है ‘अन्यत्र किया गया पाप जनकपुर दर्शन से मिट जाती है, जनकपुर मे किया गया पाप अन्यत्र कही नही ।’ ऐ वो नगरी है जहाँ आदर्श नारी सीता की जन्म हुई थी । पुरुषोत्तम भगवान ने यहाँ आकर धनुष तोडा था और सीता से स्वम्वर रचाई थी । चारो धामो में सबसे उत्कृष्ट ‘धाम’ के नाम से जनकपुर जाना जाता है । यहाँ जो भी पर्यटक आते है जनकपुर की नारी को सीता की दृष्टि से देखा करते है ।
लेकिन दूभाग्य ही कहें की मन्दिर और मन्दिर के आसपास जहाँ अस्था एवं निष्ठा पूर्वक पूजा—पाठ की जाती हैं । मन की शान्ति एवं कामना पुरी होती है । वहाँ यौन व्यवसाय मे लगी महिला पुरुष के तालास मे बैठी रहती है । वैसे कहें तो धनुष सागर, गंगासागर, स्मशान घाट और जानकी मन्दिर की विवाह मण्डप भितर पार्क के अगल—बगल मे तो खुले आम यौनकर्मी अपनी पहिचान बनाई हुई है ।
आश्चर्य की बात तो ये है कि इस मे आप ऐसे भी महिला को देखेगे जो अपनी माँ वा दादी की उम्र की होगी । लेकिन वो महिला नेपाल—भारत के जिले से आए हुए दर्शनार्थी से मन्दिर के बारे मे बाते करते—करते अपने पास रखी कुछ फोटो भी देखाती है और कहती है ‘इन मे से आपको कौन सी पसन्द है’ जब बात मिल जाती है तो वो महिला जनकपुर की किसी लाँज मे ले जाती है और अपनी कमिशन लेकर फिर से दुसरा ग्राहक की खोज मे लग जाती है ।
जनकपुर की लाँज की बाते करे तो कुछ वर्ष पहले खास कर ग्रामीण क्षेत्र की जनता लाँज क्या होती है जानता भी नही था । अर्थात् मुश्किल से २—४ लाँज रहा होगा । वो भी हमेसा सुनसान । कभीकभार मेला उत्सवमे बाहर से आए हुए लोग लाँज मे रहा करता था । लेकिन ५ वर्ष के भितर मे करीबन ३०—३५ लाँज हो चुका है । जहाँ न सडक है न मन्दिर वहाँ भी लाँज अवश्य मिलेगा । जनकपुर को इस दृष्टि से देखा जाए तो धार्मिक, पर्यटकीय क्षेत्र की विकास अगर १० प्रतिशत के अनुपात मे हुआ है तो ९० प्रतिशत विकृति को विकास हुआ है ।
हम आवाज उठाते है जनकपुरको धार्मिक पर्यटकीय स्थल बनाया जाए । मिथिला की राजधानी जनकपुर को बनाया जाए । जहाँ पवित्र आत्मा की बास होती है । लेकिन काठमाडौं के रत्न पार्क और जनकपुर के धनुषसागर पोखरी, बारह विघा (रंगभूमि मैदान), संकटमोचन मन्दिर के अगल—बगल के देखा जाए तो कोई फर्क नही दिखाई देगा ।
आप बाहर से आए है और लाँज लेना चाहते है तो लाँज मालिक आपसे सवाल करेगा । आप कितने घण्टे के लिए लेना चाहते है । एक—दो वा तीन घण्टे । अगर आप २४ घण्टे के लिए लाँज मे रहना चाहते है तो लाँज मालिक पहले बोल देगा—‘जी खाली नही है ।’ क्यो कि २४ घण्टे मे उसका लाँज ४—५ बार बुक होता है । यही कारण है कि जनकपुर मे प्रत्येक सडक और गल्ली मे लाँज देखने के मिलेगा । इतना ही कहाँ अगर आपको चिरपरिचित व्यक्ति मिल गया और लाँज मे बसे हो कहोगे तो बडे ही शान से गुलसरे उडाऐगा ‘क्या बात है यार तुम लाँज मे भी जाने लगे ।’
न कोई पर्व और न ही मेला । लेकिन जनकपुर की लाँज हमेसा भरी रहती है । इसका एक ही कारण है लाँज मालिक भी खुलेआम यौन व्यवसाय मे बुलाई जाती है । बिहार के सीतामढी, मधुबनी सहित के जिला से यौनकर्मी महिला मगाती है और यौन व्यवसायी करबाता है । मगर ऐसी भी बात नही है कि किसी को मालुम नही है । सबको पता है लेकिन ‘बिल्ली के गर्दन मे घण्टी कौन बाँधेगा’ अर्थात् व्यर्थ मे दुशमनी कौन मोल लेगा ।
जब पंक्तिकार ने एक पुलिस से इस लिससिले बाते की तो उसने कहाँ ‘उपर से आदेश नही है और यहाँ के लोग किसी प्रकार के कम्पलेन नही किया है । किस आधार पर हम करवाई करें ।’ लेकिन सच बात ये नही है । व्यवसायी रोशन शेखर के अनुसार हम लोग जब भी पुलिस के इस बारे मे बतलाते है तो वो आता जरुर है । लाँज मालिक से बाते भी करता है । कुछ घण्टो के लिए लाँज खाली भी करबाता है पुनः जैसे के तैसे । हमने कई बार सादा पोशाक मे आते देखा लाँज मालिक से मिलते है फिर चला जाता है । अर्थात् कहने का तत्पार्य है इस मौको पर पुलिस को भी अच्छी कमाई हो जाता है ।
नेपाल परिवार नियोजन संघ और मेरी स्टोप्स ने एक कार्यक्रममे प्रस्तुत किया गया तथ्यांक के अनुसार धनुषा मे ६०० से अधिक एड्स रोगी है । जिनमे एचआईभी एड्स रोगी मध्ये २ सौ ९७ पुरुष, २ सौ ५१ महिला तथा ३ तेस्रो लिङ्ग है । इतना ही नही लगभग १०० के आसपास मे बालबालिका मे भी एचआईभी एड्स रोगी देखा गया है । परिवार नियोजन संघ धनुषा का सभापति जितेन्द्र प्रसाद साह के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के महिला तथा पुरुष लाज के कारण भी इलाज के लिए नही आ रहे है । सही तरिका से इसका निरीक्षण और जाँच पडताल किया जाए तो हजार मे भी पुग सकता है ।

जनकपुर से १७ किलो मिटर दक्षिण महोत्तरी के जलेश्वर मे भी आधा दर्जन लाँज खुल चुका है इसका एक ही कारण है देहव्यापार । नेपाल पत्रकार महासंघ महोत्तरी के सचिव नागेन्द्र लाल कर्ण का अनुसार महोत्तरी अभी भी विकास के मामले मे बहुत ही पिच्छे है । लेकिन वैदेशिक रोजगारी के कारण यहाँ भी यौन व्यवसायी तेज से बढ्ता जा रहा है । परिवार नियोजन संघ बर्दिवास महोत्तरी के संयोजक धिरज पौडेल के अनुसार अभी तक ४५ एड्स रोगी है जिसमे चार बाल—बालिका भी है । उनका अनुसार सही अर्थ मे जाँच की जाए तो ये संख्या सय से भी अधिक हो सकता है ।
जनकपुरमे महिला अधिकारकर्मी की भी कमी नही है । हरेक मिटिङ्ग, समारोह आदि इत्यादी मे खुलकर बाते करती है —महिला हिंसा की, बलत्कार की, शोषण की, दमन की, अधिकार की । लेकिन उसके आगे ही महिला यौन व्यवसाय करती और वो चुपचाप देखती रहती है । मानव अधिकारवादी विजय दत्त कहते है इसका मुख्य दोषी सरकार भी है । महगाई दिन प्रति दिन बढती ही जा रहा है । अपनी देश मे रोजगारी नही मिलने पर नेपाल का अधिकांश जनता खाडी मुलुक मलेसिया, दुबई, कतार, साउदी अरब, बहराईन, अमेरिका तथा भारत मे जाना पडता है । उसमे भी सरकार ने दो वर्ष तक वहाँ पर रहना पडेगा ऐसा कानून बनाई है । कभीकभार तो पैसे के लालच मे नेपाली जनता १० वर्ष तक विदेशों मे गमा देता है । इस बीच खास कर ग्रामीण क्षेत्र की महिला अभिभावक विहीन हो जाती है और आननफानन मे गलत क्रियाकलाप मे फस जाती है ।
पत्रकार महासंघ धनुषा का पूर्व सभापति उमेश साह का अनुसार ‘अपनी काम बनता भाँड मे जाए जनता’ सोच की राजनीतिकर्मी है ।’ जहाँ न शिक्षा है और नही रोजगारी वहाँ तो स्वभाविक है बढेगा यौन व्यवसायी । लेकिन अधिवक्ता लक्ष्मण पौडेले कहते है इसका जिम्मेवार हम सभी है । सामाजिक वातावरण कैसा बनाया जाए हम सबका दायित्व भितर की बात है । तसर्थ जनकपुर के धार्मिक पर्यटक बनाने के लिए यहाँ के बुद्धीजीवी, नागरिक समाज सहित के व्यक्ति सब के आगे आना होगा । तभी हम सभ्य और विकृति रहीत समाज के निर्माण कर पाऐगे ।
इस प्रकार की गलत व्यवहार का धार्मिक क्षेत्र मे होने से रोकने के लिए यौनकर्मी को इसकी दुष्परिणामके सम्बन्धमे जानकारी कराकर अन्य व्यवसाय की ओर आकर्षित करने की जरुरत है ।
वैसे राष्ट्रिय एड्स तथा यौनरोग नियन्त्रण शाखा ने वि.सं. २०६५ मे नेपाल मे २० वर्ष मे ७२ हजार एड्स संक्रमित है अनुमानित तथ्यांक प्रस्तुत किया था ।  जिसमे १२ हजार ५ सय ४७ व्यक्ति उपचार के क्रम मे था । एड्स रोगी मध्ये ८ हजार ३ सय ९७ पुरुष था जिन्मे एड्स संक्रमित  १५ से ४९ उमेर तक की थे ।