Monday, April 24, 2017

‘जनकपुरधाम’ आ गामक ‘गोइरा’ खेत

कैलास दास
जनकपुर । गामक लोक सभ सहरमे अबैत छैक । किएक त सहरके वातावरण मात्र नहि, नाला आ सडक सफासुथर सेहो रहैत छैक । जाहिसँ लोक प्रफुलित आ आकर्षित होइत अछि । मुदा नेपालक सभसँ पुरान ऐतिहासिक धार्मिक नगरी जनकपुरके दूदर्शा देखि ऐना लगैत अछि जेना गामक कोनो गोइरा खेतमे आबि गेलीह । धूपक समयमे जखन हावा बहैत अछि तऽ हावा नहि धूलसँ साँस लऽ रहल छी ।
जनकपुर नेपाल आ भारतक लेल ऐतिहासिक धार्मिक सहर के रुपमे जानल जाइत अछि । मुदा एतहे कनिको पानि पडला पर गामक गोइरा खेत बनि जाइत अछि त धूप (रउँदा) निकल तऽ धूले धूलमे साँस लेनाई कठिन भऽ जाइत अछि ।

‘जनकपुरधाम’ नाम बहुत पैघ अछि । एतह के लोक सेहो बहुत सहनशील अछि किएक तऽ जनकपुर धूपके मौसममे धूलेधुल आ पानिक मौसममे थालिमाटि जहाँतहाँ होइतो एतहके लोक सभ अपन घर आ दोकान आगा सफा करए नहि चाहैत अछि ।
धार्मिक, साँस्कृतिक नगरी जनकपुरधामक वातावरणके मापदण्ड कएला सँ ८० प्रतिशत वायु प्रदूषण अछि वातावरण विभागक कहब छनि । जहाधरि सडक आ नालाक बात अछि ओ त ककरो सँ छुपल नहि अछि । जनकपुरमे एक ठाम सँ दोसर ठामधरि जाएबाक लेल चारि पाँच चक्कर मारहिटा पडत । ओहुमे अखुनका अवस्थामे पैदल छी त थालमाटि लगाइएको गन्तव्य स्थल पर पहुँच जाएब । मुदा कोनो गाडी पर सवार छी त कखन कोन ठाममे धसि जाएत कहनाई मुश्किल अछि ।
जनकपुरके नामी चौक रेल्वे स्टेशन, भानु चौक, पिडारी चौक, कदम चौक, विद्यापति चौक, विश्वकर्मा चौक, मालपोत कार्यालय, जिल्ला प्रहरी कार्यालय आगाक सडकक अवस्था कनिके पानिमे बेहाल अछि । जखन धूप छल तऽ लोक धूल सँ परेशान आ अखन पानि अछि तऽ थाल सँ परेशान अछि ।
समस्याक कारण की त ?
आखिरमे एहन समस्या किएक आएल त ? प्रश्न उठनाई स्वभाविकै अछि । ओना व्याङ्गत्मक रुपमे कहल जाए त जनकपुरके कहियो ‘मच्छरके राजधानी’ त कहियो ‘नरकपालिका’ के नाम सँ चर्चा मे लाएल जाइत अछि । मुदा अखन विकासक बेर आएल अछि त ‘धुल आ थालिमाटि’ के नाम सँ जानल जाइत अछि ।
विकासक क्षेत्रमे वर्षौसँ पछाडि पडल जनकपुरके काया पलटक लेल एशियाली विकास बैंकके ऋण सहयोगमे एतहके नाला आ सडक निर्माण भऽ रहल अछि । जाहिसँ जनकपुरवासी बहुत खुश आ उत्साहित अछि । जनकपुर प्रदेशक राजधानी बनत सेहो आशा आ विश्वस्त अछि । मुदा विकासके जे गति अछि ताहि सँ स्पष्ट होइत अछि जे विकास होबए से पहिने एतहके स्थानीयवासी रोगव्याधीसँ ग्रस्त भऽ जाएत । एकर कतेको कारण छैक —पहिल कारण तऽ निर्माण काजक गतिमे तिव्रता नहि आ दोसर— व्यवस्थित किसिमसँ काज नहि भऽ रहल छैक । दू वर्षक भितर मे नाला आ सडकके काज पुरा करबाक छल । मुदा एक वर्षसँ बेसी बित गेल ३० प्रतिशतधरि काज मात्र सम्पन्न नहि भऽ सकल अछि ।
कतहुँ निर्माण काज स्थानीयवासीके ध्यानमे राखिके होइत अछि । व्यापार व्यवसाय, आवात जावत, वातावरण कोना स्वच्छ र सुन्दर रहत निर्माण काजके प्रथम दायित्व होइत छैक । मुदा एतहके निर्माणके ठेकेदार ई सभ मापदण्ड कागजमे मात्र सीमित कऽ देने अछि ।
जनकपुरमे नाला निर्माणके काज चारुदिशसँ भऽ रहल छैक । जाहिके कारण कखनो थालमाटि त कखनो धूलेधुलमे रहए लेल स्थानीयवासी विवस अछि । ई समस्या आवात जावत करएवाला के लेल मात्र नहि सडकक बगलमे दोकान कऽ बैसल  सभसँ बेसी कष्टकर जीवन बिता रहल अछि ।
सम्बन्धित निकाय किएक मौन
राजनीतिक भूमीके रुपमे जनकपुरधाम के मानल जाएत अछि । देशमे अगर कोनो प्रकारक परिवर्तन भेल अछि त ओकर सुरुवात जनकपुरमे भेल अछि राजनीतिक विज्ञ सभक कहब छनि । मुदा जहाँधरि विकासक बात अबैत अछि ताहिमे ‘जनकपुरप्रति विभेद’ रहल आरोप सेहो दावी करैत अछि ।
एतहके सडक अखन कुरुप बनल अछि, मुदा सब निकाय मौन अछि । विभिन्न प्रकारक रोगक सम्भावना सेहो  बढि रहल छैक तकर बादो कोनो आवाज कोनो दिश सँ नहि उठल अछि ।  कहैत अछि —विनाश बिना विकास सम्भव नहि अछि । मुदा एकर मतलव इहो नहि कि विनाश अव्यवस्थित किसिम से होएबाक चाही । अखन जाहि रुपसँ अव्यवस्थित किसिम सँ निर्माण काज भऽ रहल होइतो सम्बन्धित निकाय मौन छैक । एकर एकेटा कारण —विकासके नाममे बाधा नहि होएबाक चाही ।

मुदा एहि पर सहमत होनाई न्यायोचित नहि अछि । विकास निर्माण के साथ साथ व्यवस्थित किसिमसँ होएबाक चाही । कम्तिमे पैदाल, मोटरसाइकल, साइकल आबए जाएवाला रास्ता छुटियाबही टा पडत आ धूपके समयमे सडक पर पानि राखए पडत । एकरा लेल सम्बन्धित निकाय अर्थात नागरिक समाज, व्यापारी, बुद्धिजीवि, राजनीतिक दल सभके आगा आएबाक आवश्यकता अछि ।
की की रोग भऽ सकैत अछि ?
वायु प्रदुषणसँ मनुष्यके स्वास्थ्यमे बहुत असर करैत अछि । एहि सँ मानवके जानधरि जा सकैत अछि । धूलसँ क्यान्सर जेहन रोग भऽ सकैत अछि । एलर्जी, कफ, रुघाखोकी, फोक्सोसम्बन्धी रोग, धूलमे बाहर निकललासँ विशेषकऽ आँखिके सबसँ बेसी असर करैत अछि ।
वर्षातके मौसममे थालमाटि आ दूषित पानि सँ छाला रोग, घाउँघुस होइत अछि त धूलके मौसममे जखन धूल उडिके आँखिमे पडैत अछि आँखिमे इन्फेक्सन होइत अछि ।
पानी दुषित भेलासँ भाइरस, प्रोटोजोवा, ब्याक्टेरिया, परजीवी, जुका, रासायनिक पदार्थ आदिद्वारा मानव स्वास्थ्यमे गम्भीर समस्या देखाईत अछि । वर्षातके समयमे महामारीके रुपमे झाडापखाला, आउँ, हैजा, कमलपित्त, टाइफाइड, जुका, प्रोटोजोवासम्बन्धी रोग दुषित पानीके प्रयोगसँ रोग होइत अछि ।
समाधान कि त ?
आब सभसे पैघ बात अछि जे एकर समाधान की त ? समाधानक लेल निर्माण काज शुरु होनाई पैघ नहि अछि, निर्माण काज सम्पन्न होए से पैघ बात अछि । मुदा जनकपुरमे सेएह समस्या देखल गेल अछि । निर्माण काज चारु दिससँ शुरु तऽ भऽ चुकल, मुदा काज कतहुँ सम्पन्न नहि भेल छैक । काज शुरुवात सँगहि सम्पन्न होएत तब मात्र समस्या समाधान भऽ सकैत अछि ।