Saturday, January 25, 2014

जनकपुर महिमा आ रामसीता म्युजियम


कैलास दास

तुलसी दासद्वारा लिखल रामायणके ‘रामायाण श्रृखला’ देखलाक बाद जनकपुरक बहुत किछु स्मरण होइत अछि । मुदा यर्थात मे देखल जाए तऽ जनकपुरक ओ धरोहरसभ लुप्त भऽ गेल अछि वा पुरातात्विक ढंगसँ खोजि नहि भऽ सकल अवगत होइत अछि ।
ओना जनकपुरक वर्णन जतेक करब कमे लागत । आदर्श नारी जानकी जीकऽ वर्णनसँ लऽकऽ एतहके कला संस्कृति, भेषभूष, रहन—सहनसभके मनमोहित करएवाला अछि । मुदा जाहि किसिमसँ एकर प्रस्तुति वा विकास होएबाक चाही ओ नहि भेल अछि । यहाँक पावनि त्योहार ऋषिमुनि द्वारा सिद्ध एवं वैज्ञानिक तथ्यसँ  जोडल अछि । भलेही अखन विश्व प्राविधिक वैज्ञानिक ढंगसँ चलैत होइक मुदा त्रेतायुगमे सभसँ बेसी जनकपुरमे ई वैज्ञानिक सभ रहल सावित होइत अछि ।
देवी शक्ति, तपोमूमि आ महात्म्यक धरोहर रहल अछि जनकपुर । जनकपुरक चारो दिस शिवालय अछि ।  पश्चिम दक्षिण कोनामे जलेश्वरनाथ, पश्चिम उत्तर कोनामे टुटेश्वरनाथ, उत्तरमे क्षीरेश्वरनाथ, पुरबमे कपिलेश्वरनाथ, पुरव दक्षिणकोनामे कल्याणेश्वरनाथ मन्दिर अछि । जे धार्मिक दृष्टिसँ स्पष्ट कऽ रहल अछि जनकपुर एकटा धार्मिक भूमि नहि तपोभूमि सेहो अछि ।
आई इतिहास हमरा सभके जतेक गौरवान्वित करैत अछि ओतबे वर्तमान निरासा दऽ रहल अछि । पौराणिक जनकपुर आ अखुनका जनकपुर धार्मिक दृष्टिसँ बहुत अपेक्षित अछि आ एकर जिम्मेवारी हमरा सभके स्वयं लेबए पडत । जनकपुर आस्था आ विश्वासक धार्मिक पर्यटकीय स्थल अछि । मुदा पर्यटक लेल जाहि किसिमसँ धार्मिक स्थलके विकास होएबाक चाही ओ नहि भेल अछि ।
किछु दिन पहिने जानकी मन्दिरक भीतरमे रामायण श्रृखला मे देखाओल गेल ‘रामसीता म्युजियम’क निर्माण कएल गेल अछि जे पर्यटक लेल मात्र नहि हमरो सभके गौरवान्वित करैत अछि । ओ म्युजियम मनोरञ्जनसँगहि दर्शक सभके भावुक सेहो बनबैत अछि । म्युजियममे भगवती सीताक उत्पतिसँ लऽकऽ प्रेम प्रसंग आ स्वयबरधरि देखाओल गेल अछि ।
जानकी मन्दिरक भीतर अर्थात मन्दिरक निचला कोठासँ प्रारम्भ भेल ‘रामसीता चलचित्र’ उपरवाला कोठाधरि अछि । ओ ‘रामसीता म्युजियम’ जानकी माताक इतिहास स्मरण करबैत अछि ।  निचला कोठा मे अखनधरि रहिचुकल महन्थसभक तस्वीर अछि । ओतबे नहि कहियासँ कहियाधरि महन्थ रहल सेहो कागजमे उल्लेख अछि ।
सभसँ महत्वपूर्ण बात ई अछि जे भगवती सीता बाल्यकालमे कोन दिन, कोन गहना आ कोन पहिरन करैत छलथि ओ पोशाक आ जेबर ओहि म्युजियम मे राखल अछि, जे रामायाणक श्रृखला मे कतहुँ उल्लेख नहि अछि । 
उपरवाला कोठा मे जाइते मन होइत अछि जे भक्तिगान मे झुमि उठति । प्रारम्भमे अर्थात् प्रवेशक प्रथमद्वार मे तुलसी दास बैसकऽ लिख रहल रामायण देखोने अछि । तत्पश्चात् तऽ मधुर संगीतसँ एहन कोनो व्यक्ति नहि हएत जकरा मनमुग्द नहि कऽ दैत होइक ।
त्रेता युगमे जखन पृथ्वी पर अकाल पडल रहैक तऽ ऋुषिमुनि राजा जनक से कहलन्हि जे महाराजा अपने हातसँ हर जोतत तऽ अकाल मुक्त भऽ जाएत । राजा जनक अकाल मुक्तके वास्ते अपने हातसँ हर जोतए लागल । जखन अढाई मोड भेलन्हि तऽ हरक नोक एकटा घैलामे अटैक गेल आ अलौकक बालिका कनैत आवाज आएल । जे भगवती सीता छलन्हि ओ दृश्य संगीतके साथ म्युजियममे अछि ।
तकरबाद सुनैना सीताके अपन गोदीमे राखि कोना खेला रहल अछि । भगवती सीता अपन सखी सेहलीसँग खेलैत अछि । आकर्षक आ मनमोहक ई म्युजिम देखैत जेना जेना आगा बढैत अछि भगवती सीताक रामायणा मे उल्लेख कएल म्युजिमयम मे राखल गेल छैक ।
भगवती सीताक प्रेम दृश्य तऽ म्यजियममे ककरो अपन तरफ खिच लैत छैक । भारत बिहारक फुलहरमे ओ स्थान अछि जतह जानकी सीता फुल लोढए जाइत छलथि । अपन सखी सहेलीसँग जखन ओ फुल लोढए गेलन्हि तऽ ओहि ठाम भगवान रामसँ हुनक प्रथम दर्शन भेल ओ दृश्य म्युजियमे बहुत सुहनगर अछि । तकरबाद पुरुषोत्तम राम धनुषा तोडैत छथि आ देवऋषिसभ फुलक वर्षा करैत अछि । ओहि आगावाला कोठामे सीता आ रामक स्वयबर दर्शाओल गेल अछि । अलग अलग कोठामे बनाओल गेल ओ दृश्यसभके साँगहि विभिन्न धुनक गीत सेहो बाजि रहल अछि जे शान्ति आ भक्ति दिस ककरो खिच लैत अछि ।
जानकी मन्दिरक महन्थक अनुसार ई म्युजियम भारत सरकारक सहयोगमे बनाओल गेल अछि । म्युजियम बनाबए लेल कलकत्तासँ कलाकार सभ आएल छल । पूर्ण अलौकक आ दर्शानिक मात्र नहि भावुक समेत रहल ई म्युजियम एक बेर सभके देखबाक आमन्त्रण करैत अछि ।
जनकपुरक बहुत किछु एहन स्थल अछि जकरा संरक्षण नहि भेलाक कारण विलुप्त भऽ चुकल अछि । ओकरा सभके अगर म्युजियमके माध्यमसँ पर्यटक सभके देखाओल जाए तऽ एक दिन आवश्यक दातृ राष्ट्र संरक्षण कराओत से विश्वास कएल जा सकैत अछि ।
जनकपुर जानकी मन्दिर आ माता भगवतीके दर्शन कएलसँ मात्र पर्यटकीय स्थल नहि बनि सकैत अछि । तेँ हेतु रामजानकी म्युजियमके सँगहि अन्य स्थलसभक महिमा के सेहो उल्लेख करए पडत । एहि म्युजियममे ओना मनोरञ्जन मात्र अछि ।
महन्थ रामपतेश्वर दासक अनुसार एहि म्युजियमके प्रचार प्रसार आ भव्यताक लेल सेहो सोच बना रहल छी । पर्यटक कोना आकर्षक हएत ताहि दिस हमर प्रयास अछि । भगवती सीताक महिमा सम्बन्धी विभिन्न प्रकारक किछु आओर राखल जाएत मुदा किछु दिन आओर समय लागत हुनक कहब छन्हि ।

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