Saturday, January 25, 2014

कथा ममता

कैलास दास

युग बदलतै समय नहि लगैत अछि । युग सँगहि मनुष्य नहि बदलि सकल तऽ ओकरा बीच मजधार मे छोडिकऽ समय आगा निकलि जाइत अछि । एहने भेलन्हि ममता आ ओकर माय बाबु के । समय अनुसार ममताके माय बाबु नहि बदलल आ ममता के समय साथ नहि देलक ।

कहैत अछि, ‘अभावे झगडाके जडि होइत अछि ।’ जतए अभाव नहि छैक ओतह द्वन्द नहि होइत अछि । फेर तऽ बेटी होए वा बेटा सभ एक समान ।
२५ वर्ष पहिने जहिया ममता के जनम भेलन्हि चारुगाम सोर भऽ गेल रहैक, ‘गुमस्ता बाबा के पोती भेलन्हि ।’ दू पुस्तासँ ओहि खनदानमे एको गो बेटी नहि भेल रहथि । ओना गुमस्ता बाबा चाउरगामक जमिनदार सेहो छथि । बड धुमधामसँ खुशीयाली मनाओल गेल । ममताक छठिहारक दिन चारुगामा नौतल गेल रहैक । डिविया दशपैसीकेँ नाच सेहो आएल छल । छठिहारक दिन गुमस्ता बाबा नाचएवालाके सोनाके सिकरी दऽ देने रहथि ।
ममताके बड लार प्यार आ दुलार सँ लालन पालन भेल रहैक । मुदा भविष्य मे की हएतै कोई नहि जनैत अछि । गाममे बेटी बढत लिखत तऽ बिगडि जाएत रहल मनसाय के गुमस्ता बाबा तोडलक । ओ अपन पौती ममता के पढा लिखा कऽ निक डाक्टर बनाबए चाहैत छल । मुदा भेल ओकर उल्टा ?
ममता स्वयं नहि बुझि पाबि रहल छल जे एहिमे गल्ती कतए भऽ गेल । ओ अपन खिडकीबाटे लोकके अबैत जाइत देखि रहल छल । एहिसँगहि अपन वर्तमान आ भविष्यकेँ सेहो तौल रहल छल ।
जहिया ओ विद्यालयमे पढैत छलथि तऽ सभ विद्यार्थी ममतेसँ प्रतिस्पर्धा करैत छल । चंचल तऽ ओ छलैए, पढएमे सेहो बड तेज रहैक । पाँच कक्षा धरि ओकरा कोई नहि प्रथम भेला सँ रोकने छल । मुदा जखन ओ छ कक्षा मे गेल तऽ दोसर विद्यालयसँ आएल राजेश सँ प्रतिस्पर्धा होबए लागल । प्रतिस्पर्धाक क्रममे कहियो काल दुनू गोटे बीच झगडा सेहो भऽ जाइत छल । सात कक्षा धरि जाइत—जाइत राजेश प्रथम स्थान ललौक आ ममता दोसर ।
राजेश मनिपुरसँ ममताक गाम घारोपुर मे रहल विद्यालयमे पढए अबैत छल । देखएमे राजेश तऽ ओतेक सुन्दर नहि रहथि मुदा पढएमे ओतबे तेज रहथि ओ एके वर्षमे ममताक नम्वर तऽ तोडबे कएलथि, सँगहि विद्यालयक विद्यार्थी आ शिक्षक सभक चहेता सेहो बनि गेल रहथि । 
ममता राजेश के देखि कऽ मनेमन खुब जरैत छल । किछु दिन धरि तऽ राजेशके टोकबो नहि कएन्हि । ममताक बाहेक राजेशके विद्यालय के सभ छात्रछात्र बजबैत छल आ राजेशो ओकरा सभके पढाईमे कोनो समस्या होइत छल तऽ सल्लाह दैति छल । एहिसँ ममताके आओर बेसी जलन होबए लागल । मुदा एगो इर रहैक ममताके जे राजेश पहिने बजाओत तऽ बजाएब नहि तऽ नहि । जतबे ममताके राजेशके बजाबएके मन करए ततबे पितो लहरए । जेना जेना समय वितैत गेल ममता राजेशके बजाबएके प्रयास करए लागल मुदा कोनो बहना नहि भेटलाक कारण बात नहि बनि पाबि रहल छल ।
संयोगे कहुँ परीक्षा समाप्त भेलाक बाद विद्यालयक पिकनिक मनाओल गेल । ओना ई पिकनिक विद्यालयकेँ छात्रा सभके मात्र होईत अछि । छात्रासभ खाना बनाकऽ शिक्षक सभके खिएबैत अछि । मुदा राजेश विद्यालयके सभसँ तेज आ आज्ञाकारी भेलाक कारण ओहि पिकनिकमे ओकरो रहिकऽ सहयोग कऽ देवाक लेल छात्रा आ शिक्षक सभक कहने रहथि ।
ओही क्रममे ममता पियाउज काटि रहल छल आ अपन सहेली सभसँ सेहो बात चित कऽ रहल छल कि हासु उछैटकऽ लागि गेलन्हि आ धरधरकऽ खुन बहए लागल । खुन देखिकऽ ममताक सहेली सभ बाजल ‘गे केना हात कटि गेलहुँ, किछु बानहु ला नहि अछि । किछु देर पानिमे हात राखि लेबे तऽ खुन बन्द भऽ जएतो ।’ कहिते छल कि राजेश अपन जेबसँ रुमाल निकालिकऽ चट दऽ ओकर हात बान्हि देलक आ हातके किछु खानधरि अपने हातमे दबौने रहल ।
राजेश के ई बानि देखिकऽ ममताके आँखिमे नोर आबि गेल मुदा किछु बाजि नहि सकल । ओहि दिनसँ ममताक सहेली सभ ओकरा खौझाबए सेहो लागल । कखनो काल ममताक सहेली सभक कहैत छलथि,‘ममता घमण्ट सँ भरल अछि मुदा राजेश सभके भले चाहैत अछि । पढहुँ मे तेज आ व्यवहारमे निक ।’
एक दिन ममता विद्यालयके वर्क बनाबएके बिसरि गेलथि । जखन स्कूल आएल तऽ ओकरा स्मरण भेलन्हि हम वर्क बनाबही के विसरि गेली । टेबुल के तेसर बेन्च पर राखल झोलामे सँ ममता काँपी निकालिकऽ झट दऽ होम  वर्क बनाबए लागल । किछुओ देरक बाद मास्टर क्लस मे आबि गेल । राजेश होम वर्क काँपी सभ विद्यार्थी सभसँ लेबए लागल । मुदा जखन ओ अपन बेंग खोलए त ओहि मे होम वर्गवाला कापिए नहि छल । ओ सोचए लागल शायद आई घरहि मे तऽ नहि भेल गेलहुँ । किछु खानधरि ठाढ भऽ सोचि रहल छल कि ममता राजेश के कापी देति बाजल ‘साँरी ! हम होम वर्क बनाकऽ नहि आएल छलहुँ तएँ अपनेक कापी सँ सहयोग लेलीए ।’

‘कोई बात नहि, मुदा कहि देने रहथि तऽ...’ राजेश कहलक
‘आब कहिएके लेल ।’ ममता बाजल ।
एहिना बातबिचतक क्रमम एसएलसी अबैत अबैत ओ सभ बहुत घनिष्ट मित्र भऽ गेलथि आ फेर जेना अन्य प्रेममे होइत अछि तहिना ओहो सभ विवाहक लेल तयारी शुरु कऽ देलन्हि ।
ममताक माए बाबुक कहब छल राजेशके माथ पर घडारी बाहेक किछु जमीन नहि अछि फेर एहि गामक जमिन्दारक बेटीसँग कोना विवाह करत ।
जातिके बात ओतेक नहि छल कारण दुनू स्वजातीय छली । मुदा बाबुक जमिन्दार अहमके परवाह नहि करथि ओ दुनू गोटे भागिकऽ विवाह कऽ लेलथि ।
राजेशके पढाईमे तेज होबएके फाइदा सेहो भेटल । भलहि ओ एसएलसीए पास छलथि मुदा हुनका एकटा कम्पनीमे जुनियर एकाउन्टेण्ट पदमे नोकरी भेट गेल । अपन घरसँ दूरे किए नहि होइक मुदा नोकरी भेटलाक कारण दुनू गोटेके जीवन बढिया जेकाँ चलए लागल ।
दुनू गोटे आइए सेहो कऽ लेलन्हि । भगवानके इच्छा किछु आओर छल । राजेश बिमार भऽ गेलथि । ममताके किछु फुराइए नहि रहल छल । आब की कएल जाए ? नैहरि सँ तऽ पुरे सम्बन्धे तोडि लेने छलथि । राजेशके गाम पर माएबाबु जिबैत नहि छल । भैया भौजी ककरा के होइत छैक । ओ बढिया जेकाँ बुझैत छली । तैयो ममता सभसँ पहिने भैया भौजीसँ सहयोगक याचना कएलन्हि । मुदा जेना बहुतो भैयाभौजी सँ होइत छैक तहिना हिनको निराशे भेटलन्हि । ममता दियादनी सल्लाह देलन्हि, ‘अहाँ अपन बाबुसँ कहियो सहयोग करबाक लेल, तिलको नहि लेने छिएन्हि । ’
ममता बुझि गेली भैसुर आ दियादनीसँ सहयोगके बात करब कोनो अर्थ नहि रखलक । ममता माएबाबु लग जाए नहि चाहैत छली मुदा कोनो विकल्प नहि भेटलाक बाद गेली । हुनका लागल छल बहुत दिनक बाद बेटीके देखलाक बाद कहुँ माएबापके मोन डोलि जाइक मुदा से नहि भेल । ओ घरमे बैसहुँ नहि कहलन्हि ।
बाबु मुसीके कहिकऽ भगा देलन्हि । जे मुंसी काकाके एक बेर हल्ला करैत छलथि तऽ तीन बेर हाजिर हाजिर करैत छलाह से हुनका घरसँ निकालि देलन्हि ।
ममता राजेशके कोनो हालतमे गमाबए नहि चाहैत छली । ओ अन्तमे राजेश अफिसमे गेली । राजेशक म्यानेजर सहयोग तत्काल नहि कएलक मुदा नोकरी देबएके वचन देलन्हि । राजेशके कहुनाकऽ दवाई आ घरक खर्चा हुनक आगा ठाढ छल । ओ हारिकऽ नोकरी करबाक लेल तैयार भऽ गेलथि ।
राजेशके घरमे छोडि ओ नोकरी करथि आ फेर घर पहुँचते फेरसँ राजेशके सेवा करए लगथि । म्यानेजरक आँखि हुनके पर घुरि रहल छल । ओ बढिया जेकाँ बुझि रहल छली । मुदा उपाय किछु नहि छलन्हि । एक दिन म्यानेजर किछु काजसँ हुनका रोकि लेलक फेर हुनकासँ गलत व्यवहारक प्रयास करए लागल । हुनका बुझए मे नहि आबि रहल छल आब कि कएल जाए । एकदिस म्यानेजरके बात नहि मानला पर राजेशक जीवन आ घर परिवार आ दोसर दिस एहि जीवनके नाम पर एतेक बडका धोखा । ममता म्यानेजरके आगूमे बहुत कनलथि तैयो कोनो प्रभाव नहि पडल ।
एक दिन राजेश के हालात बहुत बिगरि गेल । एहिसँ पहिने शहरक बढिया बढिया क्लीनिक सभमे राजेश के उपचार करा चुकल छल । मुदा किछु दिन सुधार रहल तकरबाद फेरसँ ओकर हालात बिगरैत गेल । ममताक किछु नहि फुरा रहल छल । ओकर दिमाग मे एकेटा बात रहैक जे शहरक बढिया बढिया डाक्टर सभसँ राजेशक इलाज नहि भऽ सकल तऽ आब कहाँ इलाज कराओल जाए । कतहुँ जाएबाक लेल पैसा चाही मुदा अखन तऽ पैसा नहि अछि ।
कोन परीक्षा भगवान लऽ रहल छथि । अब त एके टा भरोसा भगवाने पर । एक बेर सरकारी अस्पतालमे लऽ जाएल जाए । मुदा अस्पताल धरि लऽजा कऽ उपचार कराबी ममतासँग पैसा नहि छल । महिनो पुरा होबएमे पाँच सात दिन बाँकिए छल । राजेश के हालत देखिक ममता विलकुल विचलित होबए लागल । ओकरा किछु नहि फुरा रहल छल की करु की नहि ।
एहिसँ पहिने एक दिन कम्पनीक मालिक किछु काजसँ ममताके रोकि लेने छल आ ओकरासँग किछु गलत व्यवहारक प्रयास सेहो कएने छल । एहि सँ ममता कम्पनीसँ पैसा माँगए नहि चाहि रहल छल । मुदा कएल की जाए । ममता किछु खान धरि चुपचाप सोचैत रहल । फेरसँ अपन साहस जुटाकऽ कम्पनीमे गेल आ राजेशक स्थितिके बारेमे कहलक ।
कम्पनीक मालिक मुस्कुराइत बाजल, ‘ममता एखनो अहाँ के किछु नहि बिगरल अछि । सुन्दर मात्र नहि अहाँक अखण्ड रुप अछि । अहाँ एक बेर बाहि फैलाकऽ त देखु । राजेश आब बेसी दिनक मेहमान नहि अछि । फेर अहाँक ई सुन्दरता कोनो कामके नहि रहि जाएत ।’
‘तब हम की करु मालिक’ ममता बाजल ।
‘हमर सल्लाह मानब तऽ अहाँ छोडि दिए राजेश के, अहाँक लेल हम एकटा पक्का घर दऽ देब आ नोकरीमे पद सेहो बढा देब, मुदा हमरा सँग रहए पडत ।’ कम्पनीक मालिक बाजल ।
ममता बहुत बडका असमन्जसमे पडि गेल की करु, नहि करु सोचैत सोचैत हुनकर माथा मे चक्कर देवए लागल । फेर अपन बिखरल साहसक समेटिकऽ ममता बाजल, ‘मालिक ! राजेश के जिते जी कतबो सम्पति हमरा लेल किछु नहि अछि । हम एकटा वियाह महिला छी । वियाहल महिलाक लेल सभ अस्मिता अपन पुरुष के लेल होइत अछि । हम जहर खा सकैत छी मुदा ई कुर्कम हमरा सँ नहि हएत । हमर तलव दऽ दिए ।’ कहैत ममता अपन तलव लऽकऽ आबि गेल आ राजेश के सरकारी अस्पतालमे भर्ना करा देलक ।
राजेश के सात दिन धरि अस्पतालमे रखलक । तकर बाद दू सय के दवाई डाक्टर साहेब लिखकऽ डिसचार्ज कऽ देलक आ कहलक ‘ई कोनो बडका रोग नहि अछि, आतमे मल जमि गेल अछि । चिन्ता करबाक कोनो बात नहि अछि । सभ ठिक भऽ जाएत । हा.. मुदा किछु दिन धरि राजेशक सुसुम दुध दिए नहि बिसरब । डाक्टरक सल्लाह अनुसार ममता दवाई देलक आ किछुए दिनमे राजेश ठिक भऽ गेल । ममता सोचए लागल दुःखके जीवन कतेक कठिन होइत अछि । साँचेमे मानव जीवन कतेक स्वार्थी अछि । दोसर मे शहरक बहुत ठाममे राजेशक उपचार नहि भेल मुदा छोटछिन सरकारी अस्पतालमे राजेशक उपचार भेल । ऐकरा हम की बुझी परीक्षा आ पतिपत्नी बीच धर्म सोचैत कानए लागल ।

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