कैलास दास:जिससे जनकपुर की पहचान है आज वही खतरे में
है। इसको बचाने की चिंता किसी को नहीं है। यह सत्य है कि नेपाल सरकार हमेशा
जनकपुर के प्रति उदासीन र ही है।जनकपुर का अस्तित्व वहाँ के ‘जानकी
मन्दिर’ पर टिका है। हमें गर्व है कि विश्व के चार धार्मिक स्थलों में
नेपाल का जनकपुरधाम भी एक है। अगर राज्य द्वारा इसे विश्व सम्पदा सूची मंे
दर्ता कराने के लिए थोडÞा सा भी प्रयास किया गया होता तो अब तक जनकपुर धाम
भी उस सूची में आ गया रहता। यह वह स्थल है, जहाँ लोग पापों का प्रायश्चित्त
कर ने के लिए एक बार इस भूमि पर आने को लालायित रहते हैं। चाहे त्रेता युग
की बात करें वा कलियुग की। यहाँ की मिट्टी पवित्र है। दूरदर ाज से जब भी
तर्ीथयात्रीगण आते हैं तो यहाँ की मिट्टी को बहुमूल्य पदार्थ की तरह अपने
घरो में संयोग कर रखने के लिए ले जाते हैं।
इसलिए कि इस मिट्टी में लक्ष्मी -सीता) ने जन्म लिया था। नेपाल सरकार ने एक ऐसा कानून भी बनाया है जिसके तहत जानकी मन्दिर के आसपास घर बनाने की इजाजत तो दी गयी है लेकिन घर का आकार मन्दिर से छोटा होना चहिए। आज कहाँ है सरकार द्वारा बनाया गया वह कानून – जितना बडÞा जानकी मन्दिर है, उससे भी बडÞा उसी मन्दिर के आगे घर बनाया जा रहा है। कुछ लोग इसका विरोध जरूर करते हैं लेकिन खुलकर बोलने का साहस किसी में नहीं है।
बहुत अफसोस की बात है कि यहाँ सैकडों ऐसी धार्मिक संस्थाएं हैं, जो धर्म रक्षा के लिए ही काम करती हैं। दर्जनों युवा क्लव हैं, जो धार्मिक कार्यक्रम करने में लगे हुए हैं। राजनीतिकर्मी, बुद्धिजीवी, समाजसेवी धर्म के नाम पर जनता को बहलाने का काम करते हैं लेकिन धार्मिक अस्तित्व बचाने के लिये खुलकर आगे आने का साहस किसी में दिखाइ नहीं देता है। हाँ, जनकपुर को धार्मिक पर्यटकीय स्थल घोषित किया जाए ये सबों की जुवान पर जरूर है।
नेतागण यह भी दावा करते हैं कि जनकपुर केवल पर्यटकीय स्थल ही नहीं है, इसे संघीय र ाजधानी भी बनाया जाना चाहिए। उसके लिए सडÞक आन्दोलन करने को भी वे तैयार हैं। जनकपुर में धार्मिक एवं ऐतिहासिक एक सौ एक पोखरी और सैकडों मन्दिर हैं, आज जिनके अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगा है। कुछ का तो नामो निशान भी नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि यह बात राजनीति दल वा प्रशासनिक निकाय को मालूम नहीं। किन्तु अभी तक इसे बचाने के लिए कोई आवाज नहीं उठी है और नाही किसी के ऊपर कारवाई की गयी है। कभी कभार छोटे संघ संस्थाओं ने आवाज उर्ठाई भी है तो दो चार दिनों में ही उन्हे भी चूप करा दिया जाता है। जानकी मन्दिर के चारों ओर गौशाला बना दिया गया है। कुछ ने तो वहाँ की जगहों को हडÞप कर निजी गोदाम बना लिया है।
मकान किसी और का बन रहा है पर गोदाम घर जानकी मन्दिर में है। उससे भी आर्श्चर्य की बात यह है कि जानकी मन्दिर के महन्थ भी इस सम्बन्ध में चूं तक बोलने को तैयार नहीं हैं। कुछ लोगों का कहना है कि मन्दिर के महन्थ केवल महन्थ नहीं एक व्यापारी भी हैं। मन्दिर के चारों ओर शौचालय बना दिया गया है। उतना ही नहीं गौशाला और किराये वाला मकान भी निर्माण कर दिया गया है। जिससे मन्दिर का सौर्न्दर्य ही खत्म हो चुका है। कहते हैं- पानी जब सर पर चढÞ जाता है तो कुछ न कुछ अवश्य करना पडÞता है। अभी यही हुआ है। धार्मिक एवं सामाजिक क्षेत्र में काम करते आ रहे गौ संरक्षण मञ्च इसके के विरोध में उतर पडÞे हैं। मञ्च के अध्यक्ष जगदीश महासेठ ने जिला प्रशासन कार्यालय सहित सम्बन्धित निकाय में ज्ञापन पत्र भी दिया है। ज्ञापन पत्र में लिखा गया है कि अगर मन्दिर के आसपास निर्माण काम बन्द नहीं किया गया तो सडÞक से लेकर जनकपुर
इसलिए कि इस मिट्टी में लक्ष्मी -सीता) ने जन्म लिया था। नेपाल सरकार ने एक ऐसा कानून भी बनाया है जिसके तहत जानकी मन्दिर के आसपास घर बनाने की इजाजत तो दी गयी है लेकिन घर का आकार मन्दिर से छोटा होना चहिए। आज कहाँ है सरकार द्वारा बनाया गया वह कानून – जितना बडÞा जानकी मन्दिर है, उससे भी बडÞा उसी मन्दिर के आगे घर बनाया जा रहा है। कुछ लोग इसका विरोध जरूर करते हैं लेकिन खुलकर बोलने का साहस किसी में नहीं है।
बहुत अफसोस की बात है कि यहाँ सैकडों ऐसी धार्मिक संस्थाएं हैं, जो धर्म रक्षा के लिए ही काम करती हैं। दर्जनों युवा क्लव हैं, जो धार्मिक कार्यक्रम करने में लगे हुए हैं। राजनीतिकर्मी, बुद्धिजीवी, समाजसेवी धर्म के नाम पर जनता को बहलाने का काम करते हैं लेकिन धार्मिक अस्तित्व बचाने के लिये खुलकर आगे आने का साहस किसी में दिखाइ नहीं देता है। हाँ, जनकपुर को धार्मिक पर्यटकीय स्थल घोषित किया जाए ये सबों की जुवान पर जरूर है।
नेतागण यह भी दावा करते हैं कि जनकपुर केवल पर्यटकीय स्थल ही नहीं है, इसे संघीय र ाजधानी भी बनाया जाना चाहिए। उसके लिए सडÞक आन्दोलन करने को भी वे तैयार हैं। जनकपुर में धार्मिक एवं ऐतिहासिक एक सौ एक पोखरी और सैकडों मन्दिर हैं, आज जिनके अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगा है। कुछ का तो नामो निशान भी नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि यह बात राजनीति दल वा प्रशासनिक निकाय को मालूम नहीं। किन्तु अभी तक इसे बचाने के लिए कोई आवाज नहीं उठी है और नाही किसी के ऊपर कारवाई की गयी है। कभी कभार छोटे संघ संस्थाओं ने आवाज उर्ठाई भी है तो दो चार दिनों में ही उन्हे भी चूप करा दिया जाता है। जानकी मन्दिर के चारों ओर गौशाला बना दिया गया है। कुछ ने तो वहाँ की जगहों को हडÞप कर निजी गोदाम बना लिया है।
मकान किसी और का बन रहा है पर गोदाम घर जानकी मन्दिर में है। उससे भी आर्श्चर्य की बात यह है कि जानकी मन्दिर के महन्थ भी इस सम्बन्ध में चूं तक बोलने को तैयार नहीं हैं। कुछ लोगों का कहना है कि मन्दिर के महन्थ केवल महन्थ नहीं एक व्यापारी भी हैं। मन्दिर के चारों ओर शौचालय बना दिया गया है। उतना ही नहीं गौशाला और किराये वाला मकान भी निर्माण कर दिया गया है। जिससे मन्दिर का सौर्न्दर्य ही खत्म हो चुका है। कहते हैं- पानी जब सर पर चढÞ जाता है तो कुछ न कुछ अवश्य करना पडÞता है। अभी यही हुआ है। धार्मिक एवं सामाजिक क्षेत्र में काम करते आ रहे गौ संरक्षण मञ्च इसके के विरोध में उतर पडÞे हैं। मञ्च के अध्यक्ष जगदीश महासेठ ने जिला प्रशासन कार्यालय सहित सम्बन्धित निकाय में ज्ञापन पत्र भी दिया है। ज्ञापन पत्र में लिखा गया है कि अगर मन्दिर के आसपास निर्माण काम बन्द नहीं किया गया तो सडÞक से लेकर जनकपुर
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