Monday, January 27, 2014

बढती गर्भपतन की जिम्मेवार कौन ?

कैलास दास
गर्भपतन कराना कानूनी अपराध है । सरकार द्वारा इस पर कडा प्रतिबन्ध लगाने के बाद भी जनकपुर मे एक साथ आठ महिला ने एक निजी अस्पताल मे गर्भपतन करवाई है । आठ शिशुओं को एक साथ एक जगह देखने के बाद जनकपुर की शान मे बहुत बडी दाग लगी यह कहना नजायज नही होगा ।
मैने कुछ दिन पहले भी लिखा था ‘पवित्र नगरी की अपवित्र कथा’, जिसमे जनकपुर मे हो रही देह व्यपार के फर्दाफास किया गया था । नेपाल से ही मात्र नही भारत के कुछ जिलो से भी महिलाओं को लाँज मालिक मगवाते है और पुलिस प्रशासन को पैसा खिलाकर खुले आम देह व्यपार करवाते है । इस पर कुछ लोगों ने टिप्पणी तो जरुर की थी लेकिन इसे कैसे न्यूनिकरण  किया जाए किसी ने सोचा नही । जहाँ तक प्रशासन की बात करे तो पैसे के आगे न तो उन्हे बदनामी की लाज होती है और न ही कानून की चिन्ता है । अभी भी जनकपुर के लाँजो मे खुलेआम रुप से वेश्यावृति होती है, और प्रशासन रुपैया कमाने लगे है ।
ऐसे मे गर्भपतन जैसी घटना जनकपुर के लिए कोई नई बात नही है । जनकपुर के चर्चित जानकी हेल्थकेयर सेन्टर के बगल मे आठ शिशुओं को लास फेके हुए अवस्था मे मिला है । वहाँ पर बडी जमघट हुई थी । पत्रकार, डाक्टर, बुद्धिजीवी, प्रशासन यादि इत्यादी सबके सब आश्चर्य व्यक्त कर रहे थे । परन्तु इससे पहले भी डा. निलम चौधरी की नर्सिङ्ग होम मे गर्भपतन घटना को लेकर बहुत ही बबाल हुआ था । फर्क सिर्फ इतना था कि जिस महिला ने गर्भपतन करवाई थी उन्हे चार लडियाँ थी । इस बार भी जब अल्ट्रासाउण्ड करबाई तो डा. चौधरी ने क्लिनिक ने लडकी ठहराई थी । लेकिन जब गर्भपतन किया गया तो वह लडका था ।
चार लडकियो की माँ महोत्तरी जिला के बनौली निवासी चन्दा झा के डा. चौधरी ने एक लाख रुपैया क्षतिपूर्ति देकर घटना को दवाना चाहा । इतनाही नही अपने उपर लगे दोष को धोने के लिए उन्होने पत्रकारों के बीच मे साक्षात्कार कार्यक्रम किया । जिससे और प्रष्ट हो गया कि यह घटना पूर्ण रुप से पैसे के लालच वा अदक्ष चिकित्सक के कारण घटी है ।

भ्रुण हत्या के बाद चन्दा के पति अनिल झा ने कुछ पत्रकारो और मानव अधिकारवादीयोंं को फोन कर बुलाया था । एक सञ्चारकर्मी ने दावा किया है कि हमारे पास दो प्रकार के फोटो है । एक जो पूर्ण लडके स्वरुप मे है और दुसरी जो उसका लिङ्ग कटा हुआ है ।
उसके बाद जब अधिकारकर्मीओं को एक समूह ने जिला प्रशासन कार्यालय धनुषा मे अदक्ष चिकित्सक के लाइसेन्स रद्द कर और भ्रुण हत्यारा के कारवाही को लेकर उजुरी दर्ता कराने गया तो धनुषा का प्रहरी उपरीक्षक नरेन्द्र उप्रेती ने उजुरी करने से साफ इन्कार कर दिया । अधिकारकर्मी रेखा झा के शब्दो मे कहे तो उन्होने कहाँ कि यह आपसी मामला है आप लोग बदनाम करना चाह रही है, आप लोग सर्तक हो जाए ? अर्थात कहने का मतलव है जिसे इस घटना को नियन्त्रण के लिए कारवाई आगे बढना चाहिए वह भी इस घटनाको छुपाने मे लगे है । प्रहरी उपरीक्षक उप्रेती से सञ्चारकर्मी ने उजुरी के बारे मे पुछा तो उन्होने कहाँ कि अभी तक पीडित पक्ष से लिखित रुप मे कोई भी उजुरी नही आई है । मौखिक हल्ला के आधार पर हम अनुसन्धान मे लगे है ।
न्याया दिलाने के वास्ते आशातित रही जनता जिला प्रशासन की ऐसी रवैया को देखकर निराश नहोना गलत नही होगा । जिस पर आम जनता न्याययिक विश्वास करते है वह स्वयं भ्रष्ट रास्ते पर चलने लगे तो सर्वसाधारण को क्या होगा ? जहाँ पर अधिकारकर्मी को धम्की दी जाती है और पीडित को पैसे से खरीदने का प्रयास होता है वहाँ पर अपराध को बढावा देना कानूनी हाथ ही माना जाऐगा ।
प्रशासन ने जिस प्रकार से घटना को दवाना चाह रहा था अधिकारकर्मी उस घटना को लेकर आन्दोलन मे उतरने की चेतावनी दी है । अधिकारकर्मी के साथ इस प्रकार से बाते करना कही न कही पैसे के खेल मे गर्भपतन जैसी घटना को बढावा देना स्पष्ट दिख रही है ।
इधर डा. निलम चौधरी ने विभिन्न सञ्चारकर्मी के साथ अन्तरवार्ता देकर अपनी बचाव मे लगी है । उनको कहना है कि चन्दा झा को पेट मे दर्द होने के बाद हमारे क्लिनिक मे आई थी ।  हमे बदनाम करने के लिए यह एक साजिस रचा गया है । हमारे क्लिनिक मे ऐसी कोई भी अवैधानिक काज नही होती है उन्होने दावी की है ।
यही कारण है कि जनकपुर के सिनियर चिकित्सक भी गर्भपतन कार्य मे संलग्न है । एक गर्भपतन करने वापत १० हजार रुपैया मिल जाता है । गोप्य सूचना के आधार पर कहाँ जाए तो एक चिकित्सक एक दिन मे १० से ज्यादा को गर्भपतन करते है । यह सब जानते है गर्भपतन रोकना बहुत कठिन बात है । लेकिन इसका मतलव यह नही कि कानून के रखवाले द्वारा स्वयं कानूनी प्रक्रिया भुल जाए ।
जनकपुर मे एक साथ आठ शिशु को लास देखा गया । स्पष्ट होता है कि यह क्लिनिक वा अस्पताल मे ही गर्भपतन कराइ गई है और एक ही चिकित्सक ने किया होगा घटना दर्शासाती है । लेकिन प्रशासन ने भी अनुसन्धान की बात कह कर टारने के शिवाया अभी तक कुछ नही किया है । डा. निलम चौधरी प्रकरण को दो हप्ता से ज्यादा हो गया लेकिन उसके उपर भी अभी तक कोई कारवाही नही हुई । जहाँ की प्रशासन भ्रष्ट हो अर्थात् रक्षक ही भक्षक बन चुकी हो । आम लोग आँख और कान बन्द कर सोई हो । कानून को पैसे से खरीदा जा रहा है । उस जगह न्यूनिकरण वाँ परिवर्तन की बात करनी मुर्खता ही प्रदर्शन करना होगा ।
कुछ दिन पहले यह भी घटना बाहर आया था कि जनकपुर के कुछ क्लिनिके बिना लाइसेन्स के ही सञ्चालन मे है । आखिर क्या राज है जो जनकपुर मे गर्भपतन एवं देह व्यापार न्यूनिकरण होने के बदले बढती जा रही है । कुछ दिन पहले जनकपुर के उत्कुष्ट ‘मोडेल क्याम्पस’ मे अध्ययनरत छात्रा और एक लडका धनुषा के ही एक लाँज मे अश्लिल भिडियो क्लिप बनाकर  उसे यूटू पर रख दिया था । दोनो की तस्वीर साफ दिखाई देता था । इसकी भी बहुत चर्चा हुई । यहाँ तक कि इस मे संलग्न छात्रा के बयान के आधार लडका को गिरफ्तार भी कर लिया गया । लेकिन कुछ ही दिनों मे उन्हे पैसे लेकर फिर से छोड दिया गया । नतिजन यह हुआ की दुसरी बार फिर से युटी पर वही अश्लिल भिडियो क्लिप फिर से रख दिया गया । ऐसे बहुत सारे क्याम्पस  जहाँ की छात्र एवं छात्रा भी देह व्यपार मे संलग्न देखी गई है ।
जनकपुर के कुछ क्याम्पसो को बारे मे लिखने से पहिले हम स्वयं लज्जा महसुस हो रही है । ये हमारी घर और बहु बेटी की इज्जत की सवाल है लेकिन बाध्यतावस हमे लिखना पड रहा है । अगर इस पर नियन्त्रण नही किया गया तो कल के दिन मे हम जो भाषणबाजी कर रहे है जनकपुर एक धार्मिक पर्यटकीय स्थल है हमारी गर्दने झुक जाऐगी ।
सब जानते है कि गर्भपतन करवाना और करना दोनो अपराध है । इस लिए दोनो उपर कारवाई होनी चाहिए । लेकिन सवाल उठता है नेपाल मे जिस तरह से धरल्ले से गर्भपतन की घटना मे वृद्धि हो रही इसका जिम्मेवार कौन है ? महिला, प्रशासन, डाक्टर वा नेपाल सरकार ? सिधी भाषा मे लोग कह डालते सरकार ? गर्भपतन घटना जनकपुर तो एक नमूना के रुप मे दिखा है । लेकिन सम्पूर्ण नेपाल की बात करे तो एक दिन मे सकडौं महिला गर्भपतन करवाती है ।
हमरा राष्ट्र ही बहुत गरीब है, जिसके कारण यहाँ का प्रत्येक व्यक्ति घर का नागरिक सालौं साल वैदेशिक रोजगारी मे विदेश मे ही गुमा देते है । अशिक्षित महिला जिसे कोई काम नही रहता है । वह गैरो के साथ अबैध सम्बन्ध बना लेती है, जब गर्भ ठहर जाती है तो लोजलोजक के कारण ऐसी घटना करने से विवश हो जाती है ।
गर्भपतन घटना जैसी अन्य घटनाको मुख्य दोषी वैदेशिक रोजगारी को ही माना जाऐगा । और उससे भी ज्यादा दोषी यहाँ का प्रशासन भी है जो कानूनी कारवाई के बदले पैसे से बिक जाते है । अगर इन सबो को नियन्त्रण करना है तो सरकार को भी अपनी इमान्दारिता देखानी होगी । जब तक सरकार कानुन को उल्लंघन करने वाले कानूनी निकाय और दोषी को न्याययिक कटघेरा मे नही लाऐगा तब तक नेपाल मे कोई भी अपराध न्यूनिकरण करना सम्भव नही है ।

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