कैलास दास:जनकपुर, आनेवाले कल में मधेश की राजधानी
बनेगा, यह काफी समय से बहस का विषय है । राजधानी के लिए जितना क्षेत्रफल,
जनसंख्या सहित का आधार चाहिए वह सब कुछ यहाँ है । सब कुछ होते हुए भी विकास
के आधार पर जिस प्रकार से विवाद उत्पन्न है, जाहिर है कल का भविष्य इसका
अनिश्चित है । यह धार्मिक पर्यटकीय नगरी है, किन्तु इसका विकास न तो धर्म
की दृष्टि से हुआ है और न ही राजधानी की दृष्टि से । हम हमेशा एक दूसरे का
दोष दिखाने के चक्कर में खुद कितने दोषी हंै, यह भूल जाते हैं । राणा शासन
में खसवादी को दोष, राजतन्त्र मंे शाहवंशी को, अब जब लोकतन्त्र हमारा है तो
स्पष्ट है कि अब दोषी हम खुद ही हंै ।
वैसे तो जनकपुर किसी न किसी विषय को लेकर हमेशा चर्चा में रहा है । चाहे
मधेश आन्दोलन की बात हो, जनकपुर की गन्दगी की बात हो, भ्रष्टाचार,
अनियमितता, अपराध, सडÞक, नाला, पानी या राष्ट्रपति, मन्त्री, राज्यमन्त्री
आदि की बात हो । लेकिन इस बार विषय कुछ अलग है, जो लज्जास्पद है ।
वषार्ंर्ेेे अपेक्षित जनकपुर के विकास के लिए एशियन डेभलपमेन्ट बंैक ने
एकीकृत शहरी विकास परियोजना अर्न्तर्गत एक अर्ब ८२ करोडÞ रूपये का ऋण सहयोग
दिया है । जाहिर है इस रकम से जनकपुरवासी का जो सपना है वह, किसी हद तक
पूरा किया जा सकता है । लेकिन जनकपुर के ही यातायात तथा भौतिक पर्ूवाधार
मन्त्री विमलेन्द्र ने इसका विरोध कर अपनी छवि को जनता में किस प्रकार
प्रस्तुत की है वह तो जनता और मन्त्री ही जाने ।
इतना तो अवश्य है कि कहीं पर भी राजनीति विकास के लिए होती है । विरोध और
विनाश के लिए नहीं । आज मन्त्री निधि के वक्तव्य के कारण जनकपुर विकास के
लिए १ अर्ब ८२ करोड रूपये, जो शायद ही नेपाल सरकार किसी भी नगरपालिका के
लिए बजट देगी, जनकपुर से बाहर जाने की चर्चा में है । अगर इतनी बडÞी रकम
वापस चली गई तो जनकपुर सौ वर्षपीछे चला जाएगा । यह राजधानी क्या, अच्छा
पर्यटकीय स्थल भी नहीं बन पाएगा । अफसोस है कि आनेवाले कल में किस विकास की
राजनीति होगी ।
मित्र राष्ट्र भारत को देखें । १६वें लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता
पार्टर्ीीभाजपा) के नेता नरेन्द्र मोदी प्रधानमन्त्री बने हैं जिनका एक ही
नारा था ‘विकास’ । उन्होने गुजरात का मुख्य मन्त्री बनकर जो विकास किया है
उसे देख जनता में विश्वास जगा है कि सम्पर्ूण्ा भारत का विकास गुजरात जैसा
ही करेगें । अभी विकासीय मोडल गुजरात बना है । सीमा से सटे बिहार को हम
उदाहरण के रूप मे प्रस्तुत कर सकते हैं । वहाँ भी नीतिश सरकार ने जिस
प्रकार से विकास किया है, उससे जनता प्रफुल्लित है, परन्तु सन्तुष्ट नहीं ।
वहाँ की जनता चाहती है, इससे भी ज्यादा विकास करने वाला कोई सरकार आए ।
भारत में अब विकास की राजनीति होगी यह निश्चित है । जो पार्टर्ीीवकास
करेगी, उनकी सरकार बनेगी । वहीं नेपाल में इसका थोडÞा सा गुण नहीं दिखता है
।
२०१७ साल में देश भर में नगरपालिका की स्थापना हर्ुइ । उसी समय की सबसे
पुरानी है- जनकपुर नगरपालिका । पुरानी और बडÞी तो है, लेकिन विकास में बहुत
ही पीछे है । जबकि लोकतन्त्र के प्रथम राष्ट्रपति डा. रामवरण यादव,
यातायात तथा भौतिक पर्ूवाधार मन्त्री विमलेन्द्र निधि सहित दर्जनों व्यक्ति
जो जनकपुर भूमिपुत्र हैं, वे मन्त्री बने थे और आज भी हंै । यहाँ के
व्यक्ति कीे ऊँचाई तो बढÞी लेकिन जगह की ऊँचाई नहीं बढÞ पाई है । हाँ, एक
बात अवश्य है कि अभी तक विकास नहीं हुआ, तो विरोध भी नहीं हुआ है । इस बार
विकास-विरोधी जो राजनीति दिख रही है, उसे शायद ही जनता सहन करेगी ।
जनकपुर को नाला, सडÞक और गन्दगी को लेकर सबसे ज्यादा बदनामी मिली है । और
एडीबी का उद्देश्य है कि २९ किलोमीटर सडÞक, २९ किलोमीटर नाला सहित का
सुविधा सम्पन्न शहर निर्माण हो । इसके तहत करीब ६ सौ घर को तोडÞना पडÞेगा ।
तभी सडÞक चौडÞी और नाला का निर्माण सम्भव है । जिन्हें जनकपुरवासी सहज
रूप में स्वीकार भी कर चुके हैं । नागरिक समाज, बुद्धिजीवी, व्यापारी,
पत्रकार, मधेशी दल एडीबी परियोजना प्रारम्भ करवाने के लिए आन्दोलन में उतर
पडÞे हैं । चारों तरफ से विरोध होने के बावजूद भी मन्त्री निधि की जिद से
अभी तक एडीबी परियोजना सञ्चालित नहीं हर्ुइ है ।
एशियन डेभलपमेन्ट बैंक ने नेपाल के चार नगरपालिका में एकीकृत शहरी विकास
परियोजना के तहत एक नगरपालिका को एक अरब ८२ करोडÞ रूपये का अनुदान दिया है ।
तीन नगरपालिका पहाडÞ के जिले में हैं और एक तर्राई में, वह है- जनकपुर
नगरपालिका । तीन नगरपालिका में एक वर्षपहले विकास का काम तीव्र गति में
शुरू हो चुका है । परन्तु जनकपुर नगरपालिका आन्तरिक द्वन्द्व में फंसा है ।
जबकि धनुषा जिला के ही नेपाली काँग्रेस की तरफ से यातायात तथा भौतिक
निर्माण मन्त्री विमलेन्द्र निधि बने हैं । निधि नेपाली काँग्रेस के ही
नहीं मधेश के सबसे बडÞे नेता हैं । लेकिन वह एक हिन्दी कविता ‘बडÞा हुआ तो
क्या हुआ, जैसे पेडÞ खजूर, पंथी को छाया नहंी, फल लागे अति दूर’ की भाँति
हैं ।
एडीबी परियोजना में कहाँ है विवाद -
एकीकृत शहरी विकास परियोजना के लिए सबसे प्रथम आवश्यकता होती है
ल्याण्डफिल्ड साइट की, जहाँ पर गन्दगी व्यवस्थापन किया जाता है । उसके लिए
एडीबी अनुसन्धान टोली धनुषा क्षेत्र नं. ३ फुलगामा में मिट्टी निरीक्षण कर
चुकी है । जनकपुर से करीब १२ किलोमीटर दक्षिण में यह गाँव है जहाँ से
मन्त्री निधि ने चुनाव जीता है । वहीं पर गुठी संस्थान का १२ बीघा १७ कट्ठा
१७ धूर जमीन जनकपुर नगरपालिका ने समझौता कर मिट्टी निरीक्षण कर
ल्याण्डफिल्ड का साइट कायम किया है । उस समय के नेपाली काँग्रेस धनुषा के
सभापति धीरेन्द्रमोहन झा ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर भी किया है, जो आज
विरोध में उतरे हैं ।
मन्त्री निधि का कहना है कि यह जमीन राजषिर् विश्वविद्यालय के लिए है । इस
जमीन के लिए पहले ही गुठी संस्थान के साथ समझौता हो चुका है । यहाँ पर किसी
भी हालत में ल्याण्डफिल्ड साइट नहीं बनाने देेंगे । यहाँ पर गन्दगी
व्यवस्थापन होने से यहाँ की जनता बीमार होेगी । गिद्ध आदि पशुपक्षी आएँगे ।
इतना ही नहीं भविष्य में यहाँ जो क्षेत्रीय विमान स्थल का निर्माण होगा,
इस समय होने वाली सम्भावित दर्ुघटना को नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता । इस
बात के मद्देनजर हम एडीबी के विरोधी नहीं परन्तु यहाँ पर ल्याण्डफिल्ड कभी
नहीं बनने दंेगे ।
जनकपुर विकास के लिए दोनो आवश्यक है । विश्वविद्यालय और क्षेत्रीय विमान
स्थल । लेकिन मैथिली में एक कहावत है- भेल पुत्र मरल जाए, ढिंÞड ला ओझाई ।
अर्थात् जो बच्चा जन्म ले चुका है उसके पालन पोषण की चिन्ता नहीं है और जो
गर्भ में है उसकी भविष्य की चिन्ता है । कहने का मतलव है कि राजषिर्
विश्वविद्यालय और क्षेत्रीय विमान स्थल अभी तक गर्भ में ही हंै । न तो उनके
लिए बजट बना है और न हीं किसी प्रकार का बजट बनने वाला है । फिर एडीबी
ल्याण्डफिल्ड का विरोध क्यो – नेपाल-भारत जोडÞने वाला रेल मार्ग, जनकपुर
नगर्राईन जटही सडÞक तथा जनकपुर भिट्ठामोड सडÞक भी आवश्यक है । उसके निर्माण
के लिए न तो पहल हुआ है और न ही दबाव ।
प्रधान मन्त्री को ज्ञापनपत्र
यातायात तथा भौतिक पर्ूवाधार मन्त्री विमलेन्द्र निधि ने एशियन डेभलपमेन्ट
बैंक के ऋण सहयोग से सञ्चालित एकीकृत शहरी विकास परियोजना के ल्याण्डफिल्ड
साइट का विरोध करने पर प्रधानमन्त्री सुशील कोईराला को ज्ञापन पत्र दिया
गया है ।
एडीबी बचाओ संर्घष्ा समिति धनुषा ने फुलगामा में ही ल्याण्डफिल्ड साइट हो,
स्थानीयवासी को रोजगारी का अवसर दिया जाए । ऐसी मांग सहित मन्त्री निधि ने
जो र्सार्वजनिक स्थल पर अभिव्यक्ति दी है उन्हे फिर्ता लिया जाए माँग सहित
जिल्ला प्रशासन कार्यालय धनुषा मार्फ प्रधानमन्त्री को ज्ञापन पत्र दिया है
। जनकपुर के जनक चौक से विशाल रैली निकाल कर नगर परिक्रमा भी किया गया था ।
जनकपुर नगरपालिका के पर्ूव नगर प्रमुख बजरंग प्रसाद साह की अगुवाई में
ज्ञापन पत्र दिया गया था । प्रमुख साह ने कहा इस परियोजना के सञ्चालन के
लिए किसी भी प्रकार का संर्घष्ा करने के लिए हम तैयार हैं । उन्होने यह भी
कहा कि गरिमामय पद में रहे मन्त्री निधि का ल्याण्डफिल्ड साइट को डम्पिङ्ग
कह कर अभिव्यक्ति देना कितना दर्ुभाग्यपर्ूण्ा है । जनकपुर विकास का अवरोध
करने का मतलव है जनकपुरवासी का अपमान करना । ५० किलोमीटर धरती के नीचे
गन्दगी व्यवस्थापित की जाएगी । उसके बाद ऊपर से सौर्न्दर्यकरण करके उस
स्थान का नाम शहीद दर्ुगानन्द झा पार्क नामकरण किया जाएगा । मन्त्री निधि
फुलगामावासी को भ्रम फैलानेवाली बात कह कर परियोजना को भगाने के चक्कर में
लगे हैं, ऐसा उन्होंने आरोप लगाया ।
एक दर्जन संघ संस्था द्वारा र्समर्थन
एशियाली विकास बैंक के सहयोग में सञ्चालित एकीकृत शहरी विकास परियोजना के
अवरोध प्रति विभिन्न संघ संस्था ने भी विरोध करते हुए एडीबी बचाओ संर्घष्ा
समिति आन्दोलन का र्समर्थन किया है ।
र्समर्थन करने वालों में श्री राम युवा कमिटी, राम जानकी युवा कमिटी,
महावीर युवा कमिटी, गणेश युवा कमिटी, जिरोमाइल युवा कमिटी, भैरव युवा
कमिटी, जनकपुर अञ्चल बस व्यवसायी संघ, जनकपुर यूथ क्लव, जनकपुर युवा मञ्च,
रामानन्द युवा क्लव, जनचेतना युवा क्लव, जनकपुर युवा क्लव, भाई युुवा
कमिटी, कर्ुर्मी समाज सेवा समिति, अृमत युवा कमिटी, युवा नेपाल पार्टर्ीीे
अध्यक्ष सरोज मिश्र और समाजवादी युवा संघ के केन्द्रीय सचिव भावेश मिश्र
हंै ।
मधेशवादी दल का भी र्समर्थन
एडीबी बचाओ संर्घष्ा समिति को मधेशी दलों ने भी खुलकर र्समर्थन दिया है ।
मधेशी जनअधिकार फोरम लोकतान्त्रिक के धनुषा अध्यक्ष उमाशंकर अरगडिया, फोरम
गणतान्त्रिक के गजाधर यादव, सद्भावना के कामेश्वर झा, फोरम नेपाल के जिला
सचिव पशुपति यादव, सचिव विजय मण्डल, कोषाध्यक्ष लालजी शरण, नेपाल सद्भावना
पार्टर्ीीे जिला अध्यक्ष सहित ने एडीबी परियोजना यथाशीघ्र सञ्चालन की माँग
की है । अगर सञ्चालन नहीं हुआ तो कडÞा आन्दोलन में उतरेेंगे, ऐसी चेतावनी
भी दी है ।
जनक चौक पर धरना
एशियन डेभलपमेन्ट बैंक ने जनकपुर विकास के लिए १ अर्ब ८२ करोडÞ रूपैया ऋण
सहयोग दिया है । उसे किसी हालत में जनकपुर के विकास में ही खर्च किया जाए,
इस माँग को लेकर करीब एक सप्ताह से धरना दिया गया है ।
‘एडीबी बचाओ हमारा अभियान’ मूल नारा के साथ जनकपुर के जनक चौक पर नागरिक
समाज, महिला, बुद्धिजीवी, पत्रकार, समाजसेवी, व्यापारी, विद्यार्थी सहित
व्यक्तियों ने मांग का र्समर्थन करते हुए इसे शीघ्र सञ्चालन करने के लिए
सम्बन्धित निकाय से आग्रह भी किया है ।
यातायात तथा भौतिक पर्ूवाधार मन्त्री विमलेन्द्र निधि द्वारा धनुषा के
फुलगामा में ल्याण्डफिल्ड साइट के लिए जमीन उपर्यक्त नहीं है, ऐसी
अभिव्यक्ति के बाद जनकपुर विकास के लिए आए १ अर्ब ८२ करोड रूपया वापस जाने
की आंशका है । जबकि फुलगामा में गुठी अधीनस्थ १२ बीघा १७ कट्ठा १७ धूर जमीन
जनकपुर नगरपालिका के साथ समझौता कर मिट्टी परीक्षण का काम भी हो चुका है ।
तत्पश्चात् मन्त्री निधि ने यह जमीन राजषिर् जनक विश्वविाद्यलय के लिए लीज
पर लिया गया है कह कर ल्याण्डफिल्ड साइट निर्माण में अवरोध करने के बाद
बलराम मिश्र के नेतृत्व में सदाशिव मिश्र, सूचना अभियन्ता ध्रुब कुमार झा,
राजेश्वर साह , धीरेन्द्र सिंह , पंकज कुमार कर्ण्र्ाा प्रदीप लाल ,
घनश्याम मिश्र, सरोज मिश्रा धरना पर बैठे हैं ।
दूसरी जगह जमीन की खोज और विरोध
जनकपुर एकीकृत विकास परियोजना अर्न्तर्गत धनुषा के फुलगामा में
ल्याण्डफिल्ड साइट जो कायम किया गया है उसी स्थान पर होना चाहिए
स्थानीयवासी के दबाव बढÞने पर यातायात तथा भौतिक पर्ूवाधार मन्त्री
विमलेन्द्र निधि के र्समर्थकों ने ल्याण्डफिल्ड साइट के लिए दूसरी जमीन की
खोज प्रारम्भ की है ।
नेपाली कांग्रेस धनुषा के सभापति रामसरोज यादव, स्थानीय विकास अधिकारी
गुरूप्रसाद सुवेदी, एडीवी परियोजना प्रमुख गंगाप्रसाद यादव, काँग्रेस के
गणेश तिवारी, कोमलकान्त झा, धनुषा क्षेत्र नम्बर ३ और ४ के अलावा धनुषा
क्षेत्र नम्बर २ से निर्वाचित सभासद् रामकृष्ण यादव, ५ से निर्वाचित डा.
चन्द्रमोहन यादव तथा ६ से निर्वाचित प्रेमकिशोर साह के निर्वाचन क्षेत्र
पुष्पलपुर, धनुषाधाम, भरतपुर, सिनुरजोडा, मालटोल सहित के स्थानों पर
वैकल्पिक लैण्डफिल्ड र्साईट की खोज जारी है । धनुषाधाम, ढल्केवर,
महेन्द्रनगर स्थानों पर साझा डम्पिंग र्साईट की खोज भी हो रही हंै ।
इधर जब धनुषा क्षेत्र नं. ३ में ल्याण्डफिल्ड साइट के लिए मिट्टी परीक्षण
होने के बाद भी नेकाँ नेता एवं यातायात तथा भौतिक पर्ूवाधार मन्त्री
विमलेन्द्र निधि नहीं ंहोने दे रहे हंै तो हम लोग भी नहीं होने देगें यह
कहते हए उस क्षेत्र के सभासदो ने विरोध किया है । राजषिर् जनक
विश्वविद्यालय के लिए जब बजेट आएगा तो जमीन देने के लिए तैयार हैं लेकिन जो
अभी गर्भ में है उसके लिए निधि को चिन्ता है और विकास के लिए इतनी बडÞी
रकम वापस होने वाली है उसकी चिन्ता मंत्री महोदय को नहीं है ।
बचाओ नहीं भगाओ अभियान है ः नगरसमिति
नेपाली काँग्रेस के धनुषा सभापति रामसरोज यादव ने प्रेस कन्प|mेन्स में कहा
कि जनकपुर के स्वरूप परिवर्तन के लिए एशियाली विकास बैंक द्वारा ऋण सहयोग
वापत आए १ अर्ब ८२ करोडÞ रूपया का विरोध कर रहे, नागरिक समाज एवं पर्ूव
नगरप्रमुख बजरंग प्रसाद साह इसे यहाँ से भगाना चाहते है । पर्ूव मेयर साह
और नागरिक समाज के ‘एडीबी बचाओ अभियान’ नहीं ‘भगाओ अभियान’ है ।
षडÞयन्त्रपर्ूवक बचाओ अभियान चलाकर यहाँ का विकास अवरोध करना चाह रहे हैं,
आरोप लगाया है ।
उन्होंने यह भी कहा कि एडीबी परियोजना अर्न्तर्गत ल्याण्डफिल्ड के लिए जो
जमीन चुनी गयी है, वह राजषिर् जनक विश्वविद्यालय के लिए पहले से लीज पर
लिया गया है । ल्याण्डफिल्ड के लिए दूसरी जमीन की खोज हो रही है । इसमें
विरोध करने की कोई बात ही नहीं है । यहाँ पर विश्वविद्यालय की सख्त
आवश्यकता है जिन्हंे यह नहीं होने देना चाहते हैं । उन्होंने यह भी कहा-
जनकपुर विकास के लिए भण्डाफोर कार्यक्रम चलाएँगे ।
एडीबी परियोजना का ध्यानाकर्षा
एशियाली विकास बैंक के ऋण सहयोग से धार्मिक पर्यटकीय नगरी जनकपुर विकास के
लिए आए १ अर्ब ८२ करोडÞ रूपया ल्याण्डफिल्ड साइट विवाद में है ।
ल्याण्डफिल्ड के लिए मिट्टी निरीक्षण तथा र्सर्भे डिजाइन होने बावजूद भी
आन्तरिक विवाद के कारण परियोजना अभी तक आगे नहीं बढÞने पर आयोजना
व्यवस्थापक गंगा प्रसाद यादव ने चिन्ता व्यक्त की है । उन्होंने कहा है कि
अगर समय पर कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ तो जनकपुरवासी के लिए दर्ुभाग्य होगा ।
इसे शीघ्र समाधान के लिए उन्होने एक प्रेस विज्ञिप्ति प्रकाशित कर सभी से
आग्रह किया है ।
ल्याण्डफिल्ड साइट के लिए धनुषा के फुलगामा में १२ बीघा १७ कट्टा जमीन का
मिट्टी परीक्षण एवं र्सर्भे डिजाइन हो चुका है । लेकिन यह जमीन राजषिर् जनक
विश्वविद्यालय के लिए गुठी संस्थान से पहले ही लीज पर लिया गया है ।
यातायात तथा भौतिक पर्ूवाधार मन्त्री विमलेन्द्र निधि के दावी करने के वाद
एडीबी परियोजना का कामकाज प्रभावित है ।
क्यों विरोध करते हैं मन्त्री निधि -
निधि कभी भी क्षेत्र नं. ४ का विकास नहीं चाहते हंै, इसके पीछे बहुत बडÞा
राज है स्थानीयवासी ने ऐसा आरोप लगाया है । स्थानीयवासी के अनुसार २०५६ साल
में विमलेन्द्र निधि ने धनुषा क्षेत्र नं. ४ से उम्मीदवारी दी थी । लोगों
ने, निधि विकास विरोधी हैं, अभी तक उन्होने कुछ भी विकास नहीं किया, कह कर
बहिष्कार ही नहीं इस क्षेत्र से भारी मत से उनको पराजित भी किया था । उसी
का प्रतिशोध निधि अभी तक धनुषा क्षेत्र नं. ४ से ले रहे हैं, स्थानीयवासी
का अभियोग है । २०५६ के बाद मन्त्री निधि धनुषा क्षेत्र नं. ३ से
उम्मीदवारी देते और विजयी होते आ रहे हैं । ज्ञात होना चाहिए कि अगर धनुषा
क्षेत्र नं. ४ का विकास नहीं हुआ तो धनुषा के किसी भी क्षेत्र का विकास
सम्भव नहीं है ।
कौन क्या कहते हैं -
एशियाली विकास बैंक द्वारा एकीकृत शहरी विकास परियोजना अर्न्तर्गत जनकपुर
विकास के लिए आए १ अर्ब ८२ करोड रूपैया ल्याण्डफिल्ड साइट विवाद के कारण
अवरुद्ध है । जनकपुर से करीब १२ किलोमीटर दक्षिण फुलगामा में ल्याण्डफिल्ड
के लिए १२ बीघा १७ कट्ठा जमीन र्सर्भे डिजाइन होने के बाद भी काम शुरु नहीं
हुआ है । इसी सर्न्दर्भ में की गई बातचीत-
ल्याण्डफिल्ड को डम्पि· र्साईट कहना भ्रमित करना है
यातायात तथा भौतिक पर्ूवाधार मन्त्री विमलेन्द्र निधि मन्त्री जैसे गरिमामय
पद पर रहकर ल्याण्डफिल्ड साइट को डम्पिङ्ग साइट कहना मर्ूखता है या वे
जनता को भ्रमित कर रहे है । नेता का काम होता है- विकास करना न कि भ्रम में
रखकर विकास विरोधी राजनीति करना । अगर जनकपुर से एडीबी किसी कारण से चला
गया तो जनकपुरवासी के लिए बहुत बडÞा अपमान होगा । नेता किसी क्षेत्र के
नहीं होते हैं, वे देश और समाज का होता है । मन्त्री निधि मधेश के बडÞे
नेता हैं, उन्हे हर सम्भव विकास की चिन्ता होनी चाहिए । यहाँ पर राजषिर्
जनक विश्वविद्यालय, रेलवे का, जनकपुर चुरोट कारखाना की भी आवश्यकता है ।
लेकिन अभी जिस काम के लिए इतनी बडÞी रकम आयी है, उसका उपयोग करते हुए बिना
विवाद के शुरुआत होना चाहिए । लेकिन मन्त्री द्वारा ही विकास विरोधी
विवादित अभिव्यक्ति देना अशोभनीय है ।
- बजरंग प्रसाद साह
पर्ूव नगर प्रमुख
शक्ति दुरूपयोग कर रहे हंै
एशियाली विकास बैंक ने जनकपुर के परिवर्तन के लिए १ अर्ब ८२ करोडÞ रूपया
दिया है । इसमें सभी को खुशी होनी चाहिए । इतनी बडÞी रकम नेपाल सरकार अपने
बजट में देगी, ऐसा विश्वास नहीं है । लेकिन सञ्चार माध्यम के अनुसार
मन्त्री निधि ने जो अभिव्यक्ति दी है, वास्तव में वह अप्रिय और अशोभनीय है ।
मन्त्री निधि धनुषा क्षेत्र नं. ३ के नेता मात्र नहीं हैं । वे पूरे देश
के नेता हैं । अगर वह एडीबी परियोजना के लिए कहीं भी बाधा व्यवधान उत्पन्न
कर रहे हैं तो अपनी शक्ति का दुरूपयोग कर रहे हैं । नेपाली काँग्रेस के
इतने बडेÞ नेता द्वारा इस प्रकार की विकास विरोधी अभिव्यक्ति देने से स्वयं
नेपाली काँग्रेस पार्टर्ीीी बदनामी हो रही है ।
-सन्तोष यादव
सचिव, नेपाली काँग्रेस धनुषा
फुलगामा में भ्रामक प्रचार
मन्त्री विमलेन्द्र निधि के र्समर्थक फुलगामा वडा नं. ३ में यह कह रहे हैं
कि अगर यहाँ पर ल्याण्डफिल्ड साइट हुआ तो यह क्षेत्र दर्ुगन्धित हो जाएगा ।
जिससे विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं । यहाँ पर विश्वविद्यालय
बनेगा तो यहाँ की जनता का विकास होगा । आनेवाले कल के दिन में जनकपुर में
क्षेत्रीय विमान स्थल बनेगा । ल्याण्डफिल्ड साइट रहा तो गिद्ध उतरेगा,
जिससे विमान दर्ुघटना हो सकती है ।
अभी आप लोग ल्याण्डफिल्ड साइट के विरोध नहीं किए तो कल के दिन में आप लोगों
का भविष्य खतरे में है । किसी भी हालत में यहाँ पर ल्याण्डफिल्ड साइट नहीं
बनना चाहिए । अगर आप लोग विरोध करेंगे तो किसी का मजाल नहीं है कि यहाँ पर
ल्याण्डफिल्ड साइट बना सके ।
- नरेशप्रसाद साह
फुलगामा ४