कैलास दास
काज कोनो पैघ आ छोट नइँ होइत अछि । तहन मेहनत करबाक चाही । मेहनतके फल कहियो मिठे होइत अछि । अखुनक अवस्थामे नेपालक अधिकांश लोक वैदेशिक रोजगारीपर निर्भर छैक । देशमे रोजगारी नइँ भेटलाक कारणे वैदेशिक रोजगारीमे जाएबाक बाध्यता रहल आजनके कहब अछि । मुदा धनुषाके एकटा व्यक्ति जे चाह बेचकऽ जीवन यापन करैत आबि रहल छथि ओ ई बात स्वीकार करए लेल तैयार नइँ छथि । करीब २० वर्षसँ चाह बेचिकऽ ६ व्यक्तिक परिवार मात्र नइँ चलबैत छथि । अपन बाल–बच्चाके निजी विद्यालयमे बढि़याँसँ शिक्षा–दीक्षा सेहो दिया रहल छथि ।
धनुषाके यदुकोहा वार्ड नं. ५ विर्ता रहनिहार रामऔतार भण्डारीके पुत्र वैद्यनाथ भण्डारी १५ वर्षक उमेरमे अपन बाबु आ मायके छोडि़ जनकपुरधाम आबि गेलनि । घरक अवस्था दयनीय भेलाक कारण ओ किछ रुपैया साथीभाइसँ ल क चाहक दोकान शुरु कएलनि आ आइ लाखोके सम्पति जनकपुरधाममे आर्जन करएमे सफल रहल छथि ।
वैद्यनाथ भण्डारी कहैत छथि ‘हमर घरक अवस्था बहुत कमजोर छल । बाबु दोसरके खेतमे कामकाज क जेना तेना हमरा सभके पालैत–पोसैत छल । ओतेक आम्दानी नइँ छल जे हमरा विद्यालय पठा सकी । आर्थिक तंगी जखन बर्दास्त नइँ भेल त हम एक दिन जनकपुरधाम काजक लेल आबि गेलहुँ । ओहि समयमे हमर उमेर मुस्किलसँ १५ वर्ष रहल हएत । बेसी छोट भेलाक कारणे हमरा कोनो नोकरी नइँ भेटल आ हम उदास भ गेल रही ।’
ओ आगा कहैत छथि ‘एक दिन हमरा किछ फुराएल आ हम तीन–चारि सय रुपैया जेनतेन जोगार क जनकपुर नगरपालिका आगामे चाहक दोकन कएलहुँ । एहिसँ आर्थिक अवस्थामे सेहो सुधार होइत गेल । हम बाबु मायके छोडि़ क जनकपुरधाम आबि गेलहुँ त हुनका सभके बड दुःख लागल रहनि । किएक त बाबु हमरा संगहि काम करए लेल कहैत छल आ हम जनकपुरधाममे चाहक दोकन करए लागल छली । ओहि कारण बाबु–माय बीच दूरी सेहो बढि़ गेल छल । जखन आर्थिक अवस्था नीक होइत गेल त बाबु–माय खुश भेलनि आ हमरा विवाह सेहो क देलनि ।’
ओ कहैत छथि जनकपुरधाममे पच्चीस वर्षसँ चाहक दोकन करैत आबि रहल छी । अखन हमरा परिवारमे ६ गोटे छी । तीन टा बेटी, एकटा बेटा आ दू परानी हमसभ । बच्चासभ नीजी विद्यालयमे पढि़ रहल अछि । ओहीमेसँ एकटा लड़कीके विवाह क लेलहुँ, जाहिमे ७ लाखसँ बेसी खर्च भेल अछि । ओतबे नइँ जनकपुरधामके मुख्य सड़क बगलमे जमीन सेहो अछि जकर दाम वर्तमान अवस्थामे करीब ४० लाखसँ बेसी हेतै । चाह बेचि क दैनिक हमरा २५ सयसँ तीन हजार आम्दानी होइत अछि ।
भण्डारीक अनुसार चाह बेचि क कमाएमे हमरा कनिको लाज नइँ लगैत अछि । बालबच्चा जखन स्कूलसँ पढि़ क अबैत छैक त ओहोसभ दोकानमे बैसत छै । ओना हमर उद्देश्य अछि बच्चाके हम डाक्टर इन्जिनियर बनाबी । जखन हमर बालबच्चा पढि़ लेत तब हम सफल जीवन बुझब से हुनक कथन छैक ।
काज कोनो पैघ आ छोट नइँ होइत अछि । तहन मेहनत करबाक चाही । मेहनतके फल कहियो मिठे होइत अछि । अखुनक अवस्थामे नेपालक अधिकांश लोक वैदेशिक रोजगारीपर निर्भर छैक । देशमे रोजगारी नइँ भेटलाक कारणे वैदेशिक रोजगारीमे जाएबाक बाध्यता रहल आजनके कहब अछि । मुदा धनुषाके एकटा व्यक्ति जे चाह बेचकऽ जीवन यापन करैत आबि रहल छथि ओ ई बात स्वीकार करए लेल तैयार नइँ छथि । करीब २० वर्षसँ चाह बेचिकऽ ६ व्यक्तिक परिवार मात्र नइँ चलबैत छथि । अपन बाल–बच्चाके निजी विद्यालयमे बढि़याँसँ शिक्षा–दीक्षा सेहो दिया रहल छथि ।
धनुषाके यदुकोहा वार्ड नं. ५ विर्ता रहनिहार रामऔतार भण्डारीके पुत्र वैद्यनाथ भण्डारी १५ वर्षक उमेरमे अपन बाबु आ मायके छोडि़ जनकपुरधाम आबि गेलनि । घरक अवस्था दयनीय भेलाक कारण ओ किछ रुपैया साथीभाइसँ ल क चाहक दोकान शुरु कएलनि आ आइ लाखोके सम्पति जनकपुरधाममे आर्जन करएमे सफल रहल छथि ।
वैद्यनाथ भण्डारी कहैत छथि ‘हमर घरक अवस्था बहुत कमजोर छल । बाबु दोसरके खेतमे कामकाज क जेना तेना हमरा सभके पालैत–पोसैत छल । ओतेक आम्दानी नइँ छल जे हमरा विद्यालय पठा सकी । आर्थिक तंगी जखन बर्दास्त नइँ भेल त हम एक दिन जनकपुरधाम काजक लेल आबि गेलहुँ । ओहि समयमे हमर उमेर मुस्किलसँ १५ वर्ष रहल हएत । बेसी छोट भेलाक कारणे हमरा कोनो नोकरी नइँ भेटल आ हम उदास भ गेल रही ।’
ओ आगा कहैत छथि ‘एक दिन हमरा किछ फुराएल आ हम तीन–चारि सय रुपैया जेनतेन जोगार क जनकपुर नगरपालिका आगामे चाहक दोकन कएलहुँ । एहिसँ आर्थिक अवस्थामे सेहो सुधार होइत गेल । हम बाबु मायके छोडि़ क जनकपुरधाम आबि गेलहुँ त हुनका सभके बड दुःख लागल रहनि । किएक त बाबु हमरा संगहि काम करए लेल कहैत छल आ हम जनकपुरधाममे चाहक दोकन करए लागल छली । ओहि कारण बाबु–माय बीच दूरी सेहो बढि़ गेल छल । जखन आर्थिक अवस्था नीक होइत गेल त बाबु–माय खुश भेलनि आ हमरा विवाह सेहो क देलनि ।’
ओ कहैत छथि जनकपुरधाममे पच्चीस वर्षसँ चाहक दोकन करैत आबि रहल छी । अखन हमरा परिवारमे ६ गोटे छी । तीन टा बेटी, एकटा बेटा आ दू परानी हमसभ । बच्चासभ नीजी विद्यालयमे पढि़ रहल अछि । ओहीमेसँ एकटा लड़कीके विवाह क लेलहुँ, जाहिमे ७ लाखसँ बेसी खर्च भेल अछि । ओतबे नइँ जनकपुरधामके मुख्य सड़क बगलमे जमीन सेहो अछि जकर दाम वर्तमान अवस्थामे करीब ४० लाखसँ बेसी हेतै । चाह बेचि क दैनिक हमरा २५ सयसँ तीन हजार आम्दानी होइत अछि ।
भण्डारीक अनुसार चाह बेचि क कमाएमे हमरा कनिको लाज नइँ लगैत अछि । बालबच्चा जखन स्कूलसँ पढि़ क अबैत छैक त ओहोसभ दोकानमे बैसत छै । ओना हमर उद्देश्य अछि बच्चाके हम डाक्टर इन्जिनियर बनाबी । जखन हमर बालबच्चा पढि़ लेत तब हम सफल जीवन बुझब से हुनक कथन छैक ।
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