Saturday, February 8, 2014

उम्र घटाने—बढाने वाला कार्यालय

कैलास दास
जनकपुर । आप ज्यादा मोटे हो गए है तो मोटापा घटाने वाला दवा खाने से मोटापा कम किया जा सकता है । आपका स्वस्थ्य अच्छा नही है वा आप पतले है उसका भी दवा असानी से उपलब्ध है । परन्तु आपकी उम्र ज्यादा हो गया है तो कम कैसे करेगें । कम है तो कैसे बढाएगें । यह तो आश्चर्य की बात है ही । प्राकृतिक ने जो उम्र निश्चित किया है उसे कोई भी दवा वा व्यक्ति नीचे उपर नही कर सकता है ।
हा, नेपाल में ऐसा भी अड्डा देखा गया है जहाँ पर आपको काम निकालना है और काम के नियमानुसार उम्र कम है वा ज्यादा उसे भी बढाया—घटाया जा सकता है । वसरते उसके के लिए आपको ज्यादा रकम चुकाना पडेगा । आपके सामने एक बोर्ड लगी है जिसमे लिखा है घुस लेना—देना दोनो अपराध है । परन्तु वही पर एक वर्ष बढाना हो वा एक वर्ष कम करना हो तो उसके लिए आपको दो हजार रुपैया देना पडेगा ।

आपको यह पढने के बाद आश्चय लगा होगा, यह अड्डा कौन हो सकता है, चाहे आपने भी ऐसा गलती किये होगें तो स्वतः समझ गये होगें । वह अड्डा है जिल्ला प्रशासन कार्यालय । वैसे यह घटना धनुषा के है । परन्तु हमने महोत्तरी, सिरहा, सप्तरी, सिन्धुली के साथीयों से पुछने पर कहा यह कोई नई बात नही है, ऐसा चलता रहता है । जहाँ पर भ्रष्टाचारीयों को, दोषी को, असुरक्षित व्यक्ति को सुरक्षा की ग्यारेण्टी दिया जाता है वही पर ऐसा करतुत हो शर्मनाक बात है ।
राजेश मुखिया (नाम परिवर्तित नाम) ने हमें फोन किया । हम जिल्ला प्रशासन कार्यालय धनुषा में पासपोर्ट बनाने आए है, परन्तु पासपोर्ट के लिए हमसे ६ हजार रुपैया घुस माँग रहे है । उसका जन्म स्थल धनुषा के कर्माही है किन्तु वह अभी विराटनगर मे रह रहे है । जब हम वहाँ पर पहुँचे तो जिल्ला प्रशासन कार्यालय के कर्मचारी और मुखिया जी के साथ कुछ गोप्य बात हो रही थी । मैने पुछा —‘जी आप किस बात के लिए उससे ६ हजार रुपैया माँग रहे है ।’ उन्होने उत्तर दिया —‘मै क्यो किसी से पैसा माँगुगा, वह जो दे रहे उसे मै अपना दस्तुर के अनुसार बता रहा हू । उसका लडका का जन्म मिति २०५५ में हुआ है और उसने नागरिकता में अपने से २०५१ कर के पासपोर्ट बनान चाहते है । उसका दण्ड तो उसे तिरना ही होगा न । एक वर्ष ज्यादा वा कम करना है तो दो हजार रुपैया लगेगा । उसी प्रकार उन्हे तीन वर्ष होता है तो ६ हजार रुपैया हुआ । नही तो जिस दिन उसका उम्र होगा अपना पासपोर्ट बना लेगा । कर्मचारी के अनुसार वह विदेश जाने पर लाखौं रुपैया कमा सकता है तो मैने एक वर्ष कम वा ज्यादा करने को दो हजार रुपैया रखा हूँ तो कोई ज्यादा नही है ।
बडी असमंजस्ता की बात है । ऐसी घटना मे दोषी आप किसको बताऐगें, कर्मचारी वा मुखिया को । मना की मुखिया यहाँ पर रोजगारी नही मिलने पर अपने लडका को विदेश पठाना चाहता है तो कानून पालन करता भी पैसा के सामने अपना कर्तव्य भूल जाते है । यही कारण है कि भले ही आज देश भूमरी में फसता जा रहा हो परन्तु व्यक्ति को विकास नही रुका है । कानून के पाठ सिखानेवाले अड्डा ही ऐसी बात करे तो देश का भविष्य कितना पिच्छे चला जाऐगा वह सोचनेवाली बात है ।

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