कैलास दास
घटना वि.सं. २०६७ कातिक महिने की है । अंकल अंकल कहकर पुकारने वाले पाँच वर्ष का बालक दीपेश को अपने ही गाम के एक व्यक्ति अगवा कर हत्या कर देती है ।
घटस्थापन का दिन था । सबके सब हर्षोल्लास के साथ दूर्गा भवानी के पूजा की तैयारी मे थे । वैसे भी जनकपुर का विजया दशमी पुरे नेपाल मे प्रसिद्ध है । पूजा पाठ के लिए जब दीपेश को उसके माता पिता ने ढुढा तो वो कही नही मिला । उसके वाद पुलिस मे बयान दर्ज कराया गया ।
मधेश के बहुत ही जिला मे बच्चा को अगवा कर फोन मार्फत चन्दा माँगना, चन्दा नही देने पर बच्चा को यातना देना तथा अन्त्य मे हत्या कर फेक देना साधारण सी बात है । इसी कारण दिपेश के माता पिता डर गया था । चार दिन वित चुका था नही फोन आया और नही बच्चा को पता चला । पुलीस भी परेशान था । अनुसन्धान मे कही कुछ पता नही लग रहा था । मानव अधिकारवादी, समाज सेवी सब के सब दीपेश के स—कुशल मुक्त करने की गुहार रहे थे ।
चार दिनो के बाद घर से तरकिबन ५ सय मिटर दूर खेत के आरी पर बोरा दिखाई पडा । जिसमे दीपेश का लाश था । उन्हे निर्ममता पूर्वक हत्या कर आँख निकाल दी थी । माथे पर असंख्य सुई घोप कर लहु लहुआन कर दिया था । अर्थात चेहरा को बदसुरत बना दिया था ।
जनकपुर से २० किलोमिटर पूर्व मे कर्माही गाम की घटना है । लक्ष्मेश्वर यादव को एक ही सन्तान था दिपेश यादव । लक्ष्मेश्वर को उसी गाम के रहने वाले रामदेव मुखिया से दोस्ती था । घर मे बराबर आन—जान लगा रहता था । बच्चे से भी बहुत प्यार करता था उसका दोस्त । जब भी लक्ष्मेश्वर यादव के घर आया करता तो दिपेश के लिए चौकलेट, बिस्कुट खिलाया करता था । दीपेश भी अंकल अंकल कह कर पुकारते थे ।
एक दिन लक्ष्मेश्वर यादव अपने लिए और रामदेव मुखिया अपने बेटे के लिए एक गैर सरकारी संस्था मे नोकरी के लिए फर्म भरा । लक्ष्मेश्वर यादव को नोकरी मिल गया और रामदेव मुखिया का लडका विनोद मुखिया को नही मिला । रामदेव मुखिया ने हम पर शक नही हो इसलिए रामबाबु यादव को कहाँ दीपेश को हमारे घर जैसे भी लेकर आओ । और वही किया रामबाबु यादव ने ।
पुलिस लाश का अनुसन्धान कर रहा था । एक तर्फ पुछताछ चल रही थी और दुसरी तर्फ मुचुल्का तैयार कर लाश को पोस्ट मोर्टन के लिए जनकपुर लाने की तयारी मे था । तभी विनोद मुखिया (रामदेव मुखिया का बेटा) और रामबाबु यादव (बिस्कुट खिलाकर लाने वाले) लाश को देखते ही डर से इधर उधार भाग्ने की कोशिश करने लगा । उसका शरीर डर से काँप रहा था । तभी पुलिस को उस पर शक हुआ और दोनो को पडक ली ।
पुलीस की जानकारी अनुसार हत्या का अभियुक्त रामदेव और रामबाबु दीपेश को हत्या कर के चार दिन तक घर मे रखा । जब लाश गन्ध देने लगा तो एक बोरा मे रखकर धान के खेत मे फेक दी । उन्होने ये भी बताया की ‘ये नोकरी हम करना चाहते थे (रामदेव मुखिया का पुत्र विनोद मुखिया) । लेकिन वो नोकरी हमे नही मिला । उसी दिन से हम प्रतिशोध मे थे । मैने दीपेश को बिस्कुट खिलाकर घर मगवाए । रात मे रखा भी लेकिन जब दीपेश रोने लगा और गाम मे उसका खोजी हो रहा था तभी मैने दिपेश को गला दवाकर हत्या कर दी और इसका लाश को पहचान नही हो इस लिए दीपेश को आँख भी निकाल ली । इतनाही नही सुई घोप कर लाश को बदसुरत भी बना दी ।
दीपेश हत्या के अभियुक्त रामदेव मुखिया और रामबाबु यादव अभी जलेश्वर जेल मे है । मुख्य योजनाकार विनोद मुखिया अभी भी फरार है । पीडित परिवार के अनुसार भारत के मुम्बई प्रान्त से अभी भी दोनो को रिहाई नही कराई तो मारने की धम्की दे रहा है ।
दूसरी घटना
वि.सं. २०६९ आश्विन १४ गते धनुषा के बटेश्वर ६ मे वर्ष १२ का बालक सुदीप को हत्या कर टुक्रा टुक्रा करके कुवाँ मे फेक दिया । व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण सुदीप को हत्या किया गया पुलिस ने अपनी अनुसन्धान मे बताया है ।
बटेश्वर का रहने वाला राप्रकाश महतो का बेटा सुदीप (१२) को उसी गाम का चन्देश्वर पासमान और सुरेश पासमान ने अपनी दुश्मनी साधने के लिए रमेश महतो और रंजीत महतो को प्रयोग किया ।
रमेश और रंजीत दोने सुदीप को खेलने जाने के लिए कहाँ । पहले तो वो तयार नही हुआ फिर बहुत सारे लालच देने पर जंगल की तर्फ खेलने गया । जहाँ पहले से ही चन्देश्वर पासमान और सुरेश पासमान मौजुद था । पुलिस अनुसन्धान का अनुसार बालक तीनो जंगल की तर्फ जा रहा था कि पिच्छे से ही कोदारी प्रहार कर वही सुदीप को हत्या कर दी ।
हत्या करने के वाद सुदीप को वही गढा खनकर गाड दी । लेकिन खुन से जमीन भिग गई थी । फिर चारो ने उस जगह को सफा भी किया ।
इधर सुदीप अपहरण को हल्ला व्यापक था । पुलिस सुदीप को खोजी के लिए गाम गाम छापामार रहे थे । सञ्चार मे भी बालक अपहरण को समाचार प्रकाशन हो रहा था । ग्रामीण भी बालक के खोजी मे तल्लीन था ।
चौतर्फी खोज के कारण हत्या मे संलग्न चारों व्यक्ति बहुत ही डर गया और पुनः जंगला गया । सुदीप को लाश को गढे से निकाला और उन्हे टुक्रा टुक्रा करके जंगल मे फेक दिया । लेकिन अभी भी हम बच पाऐगे विश्वास नही हुआ । उसका दिमाग क्या करे न करे समझ मे नही आ रहा था । उसने फिर से टुक्रा किया गया माँस को एक पोलीथिन मे पैक करके एक बोरा मे रखकर ३० फिट गहरा कुवाँ मे फेक दी ।
२०६९ कार्तिक २२ गते जब कुवाँ से बहुत गन्ध आने लागे तो कुवाँ मे फेका गया लाश को निकाला गया । शंका के आधार पर पुलिस ने सुरेश पासमान, रमेश महतो और रंजीत महतो को पक्राउ किया तो उसने सभी पोल खोली । फिलहाल अभी तीनो पुलिस नियन्त्रण मे है । लेकिन मुख्य अभियुक्त चन्देश्वर पासमान अभी भी फरार है ।
तीसरा घटना
वि.सं. २०६७ चैत्र २३ की घटना है । जनकपुर के रहने वाले एक व्यक्ति अपने ही श्रीमती को आवेशमे आकर हत्या कर देती है । पुलिस और समाज से बचने के लिए लाश को टुक्रा टुक्रा करके पोखरी मे फेक देता है ।
जनकपुर नगरपालिका ८ का अरुण कुमार झा उर्फ अरविन्द कुमार झा पुराना निवासी महोत्तरी के तुल्सीयाही कोल्हुवा ४ है । उसने भी अपनी माँ सरस्वती झा को कहने पर श्रीमती बेबी झा को वि.स. २०६७ चैत्र १९ गते रात को २ बजे कण्ठ दवा कर मार दी । लाश को छुपाने के लिए लाश को टुक्रा टुक्रा करके रत्नसागर पोखरी मे फेक दिया था । फिलहाल अभी माँ और बेटा जेल मे है ।
वि.स. २०६२÷०६३ के आन्दोलन के बाद नेपाल मे फैली हत्या, हिंसा, चान्दा आतंक अभी भी बरकरार है । उसमे भी मधेश आन्दोलन पश्चात् अधिकार के नाम पर मधेश मे ही सैकडौं व्यक्ति को हत्या हुआ है । सञ्चारकर्मी प्रतिभा झा कहती है पहले आपस मे ही लुटा करते थे । मारने की धम्की देना, चान्दा माँगना, जगह अतिक्रमण करना नियत बना था । लेकिन अभी कुछ शान्त हुआ तो दुसरी घटना बालक को अगवा कर हत्या करना जैसा आतंक मचा है । लेकिन समाज सेवी अमरचन्द्र ‘अनिल’ का अनुसार अशिक्षा तथा बेरोजगारी इसका मुख्य कारण है । अशिक्षा के कारण व्यक्ति मे चेतना नही होने पर कहाँ क्या करना चाहिए नही बुझ पाने पर नही करने वाला अपराध भी कर बैठता है । दूसरा कारण बेरोजगारी है । पहली घटना अनुसार अगर व्यक्ति शिक्षित होने के साथ साथ रोजगार रहता तो दीपेश को हत्या नही होती ।
कान्तिपुर टीवी महोत्तरी का सम्वाददाता अमर कान्त ठाकुर कहते है देश मे कानुन व्यवस्थता ढिलापन रहनेका कारण अपराध और अपराधी दवदवा बढना स्वभाविक है । इसे रोकने के लिए कडी कानुन व्यवस्था की आवश्यकता हैं । वैसे युवाओ को स्वयं एक बार अपना आपको अन्दर झाँक कर देखाना चाहिए ।
पूर्व मेयर बजरंग प्रसाद साह कहते है ‘सबका दोषी सरकार है । राजनीतिक खेल मे उलझकर ये भी भुल गये है कि हमारी जनता चाहती क्या है । देश के अच्छे से अच्छे युवा जनशक्ति या तो अपराधी बन चुका वा विदेश पलायन हो गया है । इसपर सरकार को गम्भीर होना आवश्यक है । किसी भी प्रकार को हत्या हिंसा रोकने के लिए सरकार को जनता मे जनचेतना लाना होगा । उन्हे शिक्षा तथा रोजगारी की व्यवस्था करनी होगी ।
घटना वि.सं. २०६७ कातिक महिने की है । अंकल अंकल कहकर पुकारने वाले पाँच वर्ष का बालक दीपेश को अपने ही गाम के एक व्यक्ति अगवा कर हत्या कर देती है ।
घटस्थापन का दिन था । सबके सब हर्षोल्लास के साथ दूर्गा भवानी के पूजा की तैयारी मे थे । वैसे भी जनकपुर का विजया दशमी पुरे नेपाल मे प्रसिद्ध है । पूजा पाठ के लिए जब दीपेश को उसके माता पिता ने ढुढा तो वो कही नही मिला । उसके वाद पुलिस मे बयान दर्ज कराया गया ।
मधेश के बहुत ही जिला मे बच्चा को अगवा कर फोन मार्फत चन्दा माँगना, चन्दा नही देने पर बच्चा को यातना देना तथा अन्त्य मे हत्या कर फेक देना साधारण सी बात है । इसी कारण दिपेश के माता पिता डर गया था । चार दिन वित चुका था नही फोन आया और नही बच्चा को पता चला । पुलीस भी परेशान था । अनुसन्धान मे कही कुछ पता नही लग रहा था । मानव अधिकारवादी, समाज सेवी सब के सब दीपेश के स—कुशल मुक्त करने की गुहार रहे थे ।
चार दिनो के बाद घर से तरकिबन ५ सय मिटर दूर खेत के आरी पर बोरा दिखाई पडा । जिसमे दीपेश का लाश था । उन्हे निर्ममता पूर्वक हत्या कर आँख निकाल दी थी । माथे पर असंख्य सुई घोप कर लहु लहुआन कर दिया था । अर्थात चेहरा को बदसुरत बना दिया था ।
जनकपुर से २० किलोमिटर पूर्व मे कर्माही गाम की घटना है । लक्ष्मेश्वर यादव को एक ही सन्तान था दिपेश यादव । लक्ष्मेश्वर को उसी गाम के रहने वाले रामदेव मुखिया से दोस्ती था । घर मे बराबर आन—जान लगा रहता था । बच्चे से भी बहुत प्यार करता था उसका दोस्त । जब भी लक्ष्मेश्वर यादव के घर आया करता तो दिपेश के लिए चौकलेट, बिस्कुट खिलाया करता था । दीपेश भी अंकल अंकल कह कर पुकारते थे ।
एक दिन लक्ष्मेश्वर यादव अपने लिए और रामदेव मुखिया अपने बेटे के लिए एक गैर सरकारी संस्था मे नोकरी के लिए फर्म भरा । लक्ष्मेश्वर यादव को नोकरी मिल गया और रामदेव मुखिया का लडका विनोद मुखिया को नही मिला । रामदेव मुखिया ने हम पर शक नही हो इसलिए रामबाबु यादव को कहाँ दीपेश को हमारे घर जैसे भी लेकर आओ । और वही किया रामबाबु यादव ने ।
पुलिस लाश का अनुसन्धान कर रहा था । एक तर्फ पुछताछ चल रही थी और दुसरी तर्फ मुचुल्का तैयार कर लाश को पोस्ट मोर्टन के लिए जनकपुर लाने की तयारी मे था । तभी विनोद मुखिया (रामदेव मुखिया का बेटा) और रामबाबु यादव (बिस्कुट खिलाकर लाने वाले) लाश को देखते ही डर से इधर उधार भाग्ने की कोशिश करने लगा । उसका शरीर डर से काँप रहा था । तभी पुलिस को उस पर शक हुआ और दोनो को पडक ली ।
पुलीस की जानकारी अनुसार हत्या का अभियुक्त रामदेव और रामबाबु दीपेश को हत्या कर के चार दिन तक घर मे रखा । जब लाश गन्ध देने लगा तो एक बोरा मे रखकर धान के खेत मे फेक दी । उन्होने ये भी बताया की ‘ये नोकरी हम करना चाहते थे (रामदेव मुखिया का पुत्र विनोद मुखिया) । लेकिन वो नोकरी हमे नही मिला । उसी दिन से हम प्रतिशोध मे थे । मैने दीपेश को बिस्कुट खिलाकर घर मगवाए । रात मे रखा भी लेकिन जब दीपेश रोने लगा और गाम मे उसका खोजी हो रहा था तभी मैने दिपेश को गला दवाकर हत्या कर दी और इसका लाश को पहचान नही हो इस लिए दीपेश को आँख भी निकाल ली । इतनाही नही सुई घोप कर लाश को बदसुरत भी बना दी ।
दीपेश हत्या के अभियुक्त रामदेव मुखिया और रामबाबु यादव अभी जलेश्वर जेल मे है । मुख्य योजनाकार विनोद मुखिया अभी भी फरार है । पीडित परिवार के अनुसार भारत के मुम्बई प्रान्त से अभी भी दोनो को रिहाई नही कराई तो मारने की धम्की दे रहा है ।
दूसरी घटना
वि.सं. २०६९ आश्विन १४ गते धनुषा के बटेश्वर ६ मे वर्ष १२ का बालक सुदीप को हत्या कर टुक्रा टुक्रा करके कुवाँ मे फेक दिया । व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण सुदीप को हत्या किया गया पुलिस ने अपनी अनुसन्धान मे बताया है ।
बटेश्वर का रहने वाला राप्रकाश महतो का बेटा सुदीप (१२) को उसी गाम का चन्देश्वर पासमान और सुरेश पासमान ने अपनी दुश्मनी साधने के लिए रमेश महतो और रंजीत महतो को प्रयोग किया ।
रमेश और रंजीत दोने सुदीप को खेलने जाने के लिए कहाँ । पहले तो वो तयार नही हुआ फिर बहुत सारे लालच देने पर जंगल की तर्फ खेलने गया । जहाँ पहले से ही चन्देश्वर पासमान और सुरेश पासमान मौजुद था । पुलिस अनुसन्धान का अनुसार बालक तीनो जंगल की तर्फ जा रहा था कि पिच्छे से ही कोदारी प्रहार कर वही सुदीप को हत्या कर दी ।
हत्या करने के वाद सुदीप को वही गढा खनकर गाड दी । लेकिन खुन से जमीन भिग गई थी । फिर चारो ने उस जगह को सफा भी किया ।
इधर सुदीप अपहरण को हल्ला व्यापक था । पुलिस सुदीप को खोजी के लिए गाम गाम छापामार रहे थे । सञ्चार मे भी बालक अपहरण को समाचार प्रकाशन हो रहा था । ग्रामीण भी बालक के खोजी मे तल्लीन था ।
चौतर्फी खोज के कारण हत्या मे संलग्न चारों व्यक्ति बहुत ही डर गया और पुनः जंगला गया । सुदीप को लाश को गढे से निकाला और उन्हे टुक्रा टुक्रा करके जंगल मे फेक दिया । लेकिन अभी भी हम बच पाऐगे विश्वास नही हुआ । उसका दिमाग क्या करे न करे समझ मे नही आ रहा था । उसने फिर से टुक्रा किया गया माँस को एक पोलीथिन मे पैक करके एक बोरा मे रखकर ३० फिट गहरा कुवाँ मे फेक दी ।
२०६९ कार्तिक २२ गते जब कुवाँ से बहुत गन्ध आने लागे तो कुवाँ मे फेका गया लाश को निकाला गया । शंका के आधार पर पुलिस ने सुरेश पासमान, रमेश महतो और रंजीत महतो को पक्राउ किया तो उसने सभी पोल खोली । फिलहाल अभी तीनो पुलिस नियन्त्रण मे है । लेकिन मुख्य अभियुक्त चन्देश्वर पासमान अभी भी फरार है ।
तीसरा घटना
वि.सं. २०६७ चैत्र २३ की घटना है । जनकपुर के रहने वाले एक व्यक्ति अपने ही श्रीमती को आवेशमे आकर हत्या कर देती है । पुलिस और समाज से बचने के लिए लाश को टुक्रा टुक्रा करके पोखरी मे फेक देता है ।
जनकपुर नगरपालिका ८ का अरुण कुमार झा उर्फ अरविन्द कुमार झा पुराना निवासी महोत्तरी के तुल्सीयाही कोल्हुवा ४ है । उसने भी अपनी माँ सरस्वती झा को कहने पर श्रीमती बेबी झा को वि.स. २०६७ चैत्र १९ गते रात को २ बजे कण्ठ दवा कर मार दी । लाश को छुपाने के लिए लाश को टुक्रा टुक्रा करके रत्नसागर पोखरी मे फेक दिया था । फिलहाल अभी माँ और बेटा जेल मे है ।
वि.स. २०६२÷०६३ के आन्दोलन के बाद नेपाल मे फैली हत्या, हिंसा, चान्दा आतंक अभी भी बरकरार है । उसमे भी मधेश आन्दोलन पश्चात् अधिकार के नाम पर मधेश मे ही सैकडौं व्यक्ति को हत्या हुआ है । सञ्चारकर्मी प्रतिभा झा कहती है पहले आपस मे ही लुटा करते थे । मारने की धम्की देना, चान्दा माँगना, जगह अतिक्रमण करना नियत बना था । लेकिन अभी कुछ शान्त हुआ तो दुसरी घटना बालक को अगवा कर हत्या करना जैसा आतंक मचा है । लेकिन समाज सेवी अमरचन्द्र ‘अनिल’ का अनुसार अशिक्षा तथा बेरोजगारी इसका मुख्य कारण है । अशिक्षा के कारण व्यक्ति मे चेतना नही होने पर कहाँ क्या करना चाहिए नही बुझ पाने पर नही करने वाला अपराध भी कर बैठता है । दूसरा कारण बेरोजगारी है । पहली घटना अनुसार अगर व्यक्ति शिक्षित होने के साथ साथ रोजगार रहता तो दीपेश को हत्या नही होती ।
कान्तिपुर टीवी महोत्तरी का सम्वाददाता अमर कान्त ठाकुर कहते है देश मे कानुन व्यवस्थता ढिलापन रहनेका कारण अपराध और अपराधी दवदवा बढना स्वभाविक है । इसे रोकने के लिए कडी कानुन व्यवस्था की आवश्यकता हैं । वैसे युवाओ को स्वयं एक बार अपना आपको अन्दर झाँक कर देखाना चाहिए ।
पूर्व मेयर बजरंग प्रसाद साह कहते है ‘सबका दोषी सरकार है । राजनीतिक खेल मे उलझकर ये भी भुल गये है कि हमारी जनता चाहती क्या है । देश के अच्छे से अच्छे युवा जनशक्ति या तो अपराधी बन चुका वा विदेश पलायन हो गया है । इसपर सरकार को गम्भीर होना आवश्यक है । किसी भी प्रकार को हत्या हिंसा रोकने के लिए सरकार को जनता मे जनचेतना लाना होगा । उन्हे शिक्षा तथा रोजगारी की व्यवस्था करनी होगी ।
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