Wednesday, March 26, 2014

होली


कैलास दास

हम सभ मिल के खेली होली
भैया ! हम सभ मिल के.......२
लाल—पिला आ हरा— गुलाबी
डालि के सभके कऽ देब रंग रंगोली
भैया ! हम सभ मिल के.......२

छिट—फुटि भऽ खेलली होली
खाली रहि गेल हमर झोली
आबहुँ नहि मिल के खेलाब होली
नहि भेटत अबिर नहि भेटत रंगक झोली
आऊ, भैया हम सभ........२

होली के महत्व नहि बुझली
अपने में सभ फुटिते गेली
रंगक रंग विरंग भऽ गेल
होली में हुरदंग भऽ गेल
तेँ हेतु आब,
सोचि समझि के खेली होली
भैया हम सभ........२

लाल—पिला आ हरा—गुलाबी
चारि रंगक ई होली
ककरा देह पर की फिट हएत
ओकरे सँ करु बलजोरी...२
भैया हम सभ........२

हमर रंग आ अहाँक होली
मिलजुलि खेलब सभ दिन कहली
मुदा होलीए में हुरदंग कऽ देली
बीच बाट में हम रहि गेली....२
आब नहि छोडब रंगक झोली
कतबो अहाँ करब बलजोरी
हम सभ खेलब होली
भैया हम सभ........२

दारु माउस हम छोडि देब
अधिकार नहि छोडब हम
एक बेर कएली अहाँ होली में हुरदंग
अब नहि पुगत अहाँक दम
मिल के चलब हम
भैया मिल के चलब हम...२
होली खेलब हम भैया ....२

No comments:

Post a Comment