Saturday, March 29, 2014

कमिटीद्वारा निर्देशक समिति सम्मानित

कैलास दास
जनकपुर । गणेश युवा कमिटीले हालै चयन गरेको वरिष्ठ निर्देशक, निर्देशक, कानूनी सल्लाहकार, अध्यक्षीय सल्लाहकार लगायतका व्यक्तिहरुलाई सम्मानित गरेका छन् ।
कमिटीका अध्यक्ष दीपक भगतको अध्यक्षतामा भएको सम्मान कार्यक्रममा बरिष्ठ निर्देशक गणेश चैतन्य ब्रम्हचारी, अध्यक्षीय सल्लाहकारमा शंकर साह, निर्देशक कैलास दास, श्याम प्रसाद साह, ललित साह, शुसान्त गुप्ता, दीपेन्द्र कुमार साह, शेषनारायण झा र कानूनी सल्लाहकार लोचन साहलाई फुलमाला र अबीर लगाएर सम्मानित गरेका छन् ।सम्मानित कार्यक्रममा वरिष्ठ निर्देशक गणेश चैतन्य ब्रम्हचारीले कमिटीलाई कसरी समाजिक, धार्मिक एवं खेलकुदको क्षेत्रमा अगाडि बढाउनु पर्दछ त्यसका बारेमा विशेष छलफल गरेका थिए । कार्यक्रममा महासचिव कैलास प्रसाद गुप्ताले कमिटीको अगामी कार्यक्रमका बारेमा प्रस्ताव राखेक थिए ।

गणेश युवा कमिटीद्वारा अञ्चल अस्पतालमा फलफुल वितरण

कैलास दास
जनकपुर । समाजिक एवं धार्मिक क्षेत्रमा सक्रिय भएर काम गर्दै आएका गणेश युवा कमिटीले साप्ताहिक कार्यक्रम अन्तर्गत शनिवार फलफुल वितरण गरिएको छ ।
कमिटीका अध्यक्ष दीपक भगतको अध्यक्षतामा एवं संजय साहको संयोजकत्वमा जनकपुर अञ्चल अस्पतालमा करीब दुई बिरामीहरुलाई फलफुल वितरण गरिएको छ । कार्यक्रमका प्रमुख अतिथि डा. जय कुमार मण्डलले जनकपुरको चौकचौकमा क्लिनिक भएपनि बिरामीहरुको मन जितेको अञ्चल अस्पताल नै हो । भारत लगायत नेपालका विभिन्न जिल्लाबाट निर्भिक भएर यहाँ उपचार गराउने गरेको उनले दावी गरे । अस्पतालमा दक्ष चिकित्सक हुनाले निष्पक्ष एवं निस्वार्थ रुपमा बिरामीहरुको उपचार हुने गरेको डा. मण्डलले जिकिर पनि गरे ।
त्यस्तै जनकपुर अञ्चल अस्पताल व्यवस्थापन समितिका अध्यक्ष कामेश्वर झाले गणेश युवा कमिटीले समाजिक क्षेत्रमा मात्र होइन स्वास्थ्य क्षेत्रमा पनि काम गर्दै आएकोप्रति धन्यवाद ज्ञापन गर्दै उनले एकत्रित भएर जनकपुरका सबै क्लवहरु सरसफाईको क्षेत्रमा काम गर्नका लागि आग्रह पनि गरे । अध्यक्ष झाले अस्पताल व्यवस्थापनमा आफूले कुनै कसर नछाडेको भन्दै अस्पताललाई अझै व्यवस्थित बनाउनका लागि दवाव दिन आवश्यक रहेको बताए ।
कमिटीका वरिष्ठ निर्देशक गणेश चैतन्य ब्राम्ह्मचार्यले राज्यले जनकपुरलाई अपेक्षित गरेपनि यहाँका क्लवहरुले नै विभिन्न क्षेत्रमा काम गरेर यहाँको गरिमालाई बचाउँदै आएको भन्दै गणेश युवा कमिटीले खास गरी धार्मिक एवं समाजिक क्षेत्रमा मात्र होइन स्वास्थ्य एवं खेलकुदमा काम गरेकोप्रति प्रशंसा व्यक्त गरे । उनले गत वर्ष पनि यो कमिटीले समाजिक क्षेत्रमा राम्रो काम गरेका र यस वर्ष पनि साप्ताहिक कार्यक्रम समाजिक क्षेत्रमा आफ्नो स्थान ओगेटेको कुरा औल्याए ।
कार्यक्रमका उद्घोषण पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र भण्डारीले गरेको थिए । कार्यक्रममा परिवार नियोजन संघका अध्यक्ष जितेन्द्र प्रसाद साहले पनि बोलेका थिए । त्यस्तै फलफुल वितरण कार्यक्रममा कमिटीका पूर्व अध्यक्ष, महासचिव, सचिव, निर्देशक, कानूनी सल्लाहकार, अध्यक्षीय सल्लाहकार, विद्यार्थी, युवाहरु लगायत सैकडौं व्यक्तिहरुको उपस्थिति रहेको थियो ।
अंचल अस्पतालमा रहेका दुई बेड मध्ये करीब एक भन्दा बढी विरामीहरुलाई सामाग्री वितरण गरिएको हो ।

Wednesday, March 26, 2014

होली


कैलास दास

हम सभ मिल के खेली होली
भैया ! हम सभ मिल के.......२
लाल—पिला आ हरा— गुलाबी
डालि के सभके कऽ देब रंग रंगोली
भैया ! हम सभ मिल के.......२

छिट—फुटि भऽ खेलली होली
खाली रहि गेल हमर झोली
आबहुँ नहि मिल के खेलाब होली
नहि भेटत अबिर नहि भेटत रंगक झोली
आऊ, भैया हम सभ........२

होली के महत्व नहि बुझली
अपने में सभ फुटिते गेली
रंगक रंग विरंग भऽ गेल
होली में हुरदंग भऽ गेल
तेँ हेतु आब,
सोचि समझि के खेली होली
भैया हम सभ........२

लाल—पिला आ हरा—गुलाबी
चारि रंगक ई होली
ककरा देह पर की फिट हएत
ओकरे सँ करु बलजोरी...२
भैया हम सभ........२

हमर रंग आ अहाँक होली
मिलजुलि खेलब सभ दिन कहली
मुदा होलीए में हुरदंग कऽ देली
बीच बाट में हम रहि गेली....२
आब नहि छोडब रंगक झोली
कतबो अहाँ करब बलजोरी
हम सभ खेलब होली
भैया हम सभ........२

दारु माउस हम छोडि देब
अधिकार नहि छोडब हम
एक बेर कएली अहाँ होली में हुरदंग
अब नहि पुगत अहाँक दम
मिल के चलब हम
भैया मिल के चलब हम...२
होली खेलब हम भैया ....२

Friday, March 21, 2014

जानकी मन्दिरः परम्परा और अस्तित्व का सवाल

कैलास दास:विश्व प्रसिद्ध जानकी मन्दिर के महन्थ की नियुक्ति को तोडÞने का प्रयास किया गया है, जिससे साधु सन्त, महन्थ, कुछ राजनीतिक दल, युवा क्लव आन्दोलित हैं । यह सदियों से चलती आ रही परम्परा को तोडÞने का बहुत बडा षड्यन्त्र है । न तो राज्य ने इसके लिए कोई नीति बनाई है और न ही राजनीतिक दल की सहमति है । फिर अचानक गुठी संस्थान केन्द्रीय कार्यालय काठमाण्डू से पत्र आना और उसमे जानकी मन्दिर के महन्थ पद पर जगदीश दास वैष्णव को नियुक्त करना चकित करने वाली बात अवश्य है ।  वि.स. २०५३ साल में जब मठिहानी के मान्महन्थ कौशल किशोर दास ने १६ हवें महन्थ के रुप में अपने शिष्य रामतपेश्वर दास को पगडÞी बाँध कर महन्थ
ramtapeshwar das
राजा लौटाओ अभियान में महन्थ रामतपेश्वर दास वैष्णव
बनाया था तभी से महन्थ बनने और बनाने की यही परम्परा अभी तक चलती आ रही है कि गुरु अपने ही किसी शिष्य को महन्थ पद पर नियुक्त करते हैं ।
किसी भी परम्परा को यही समाज बनाता है और परिवर्तन की जब आवश्यकता महसूस होती है तो इसका निर्ण्र्ााभी समाज ही करता है । जैसे जब तक राजतन्त्र रहा नेपाल हिन्दु देश कायम रहा । परन्तु राजतन्त्र के अन्त के बाद यह धर्मनिरपेक्ष देश बन गया । समयानुसार अगर परम्परा मे विकास नही होता तो परिवर्तन भी आवश्यक हो जाता है । लेकिन जानकी मन्दिर के महन्थ की नियुक्ति प्रक्रिया में आज तक जो गुरु शिष्य की परम्परा रही है, अचानक उस पर किसने हमला किया – क्या इस परम्परा को तोडÞने के लिए यहाँ का समाज राजी है, या किसी ने अपने अधीन में यह सब कराया है, यह प्रश्न सामान्य जनता के मन में है ।
वैसे तो जानकी मन्दिर के महन्थ रामतपेश्वर दास और मठिहानी मठ के मानमहन्थ जगरनाथ दास वैष्णव ने प्रेस कान्प|mेन्स में कहा कि, रत्नसागर मठ के महन्थ बैकुंठ दास भारतीय नागरिक है । उन्होंने अरबों रुपए की जमीन बिक्री की है । महोत्तरी शिक्षा कार्यालय के अधिकृत की हत्या कराने में भी उन्हीं का हाथ है, जैसा कि तर्राई जनतान्त्रिक पार्टर्ीीे अध्यक्ष राजमुक्ति ने पुलिस में बयान दिया है । यहाँ तक कि भारतीय नागरिक के विरोध में महन्थों ने जिल्ला प्रशासन कार्यालय में मुकदमा भी दर्ज कराया है । मन्दिर प्राङ्गण में एक फ्लेक्स बोर्ड लगा है जिसमे लिखा है ‘जानकी मन्दिर बचाओ हस्ताक्षर अभियान’ । आखिर दोनो महन्थ के बीच क्या राज है – यह आम जनता नही समझ रही है ।
भारतीय नागरिकता प्रकरण, जमीन बिक्री नयी घटना नही है, फिर इतने दिनों से यही साधु सन्त चुप क्यों रहे – नागरिक समाज, युवा क्लव कहाँ गुम थे – रामतपेश्वर दास के प्रेस कान्प|mेन्स से स्पष्ट होता है कि यह सभी कार्य बैकंुठ दास ने किया है । उन्होने गुठी संस्थान को अपने अधीन में लेकर यह फैसला कराया है । इधर इस विवाद से जनता में एक और जिज्ञासा जग रही है कि मठ मन्दिर के महन्थ धर्मकर्म से ज्यादा राजनीति में लगे हुए हैं । इस लिए ‘जानकी मन्दिर का ट्रस्टीकरण’ होना चाहिए । जिससे धार्मिक क्षेत्र का विकास होगा । जितना बडाÞ बबाल महन्थ नियुक्त प्रकरण को लेकर हुआ है अगर यही बबाल धार्मिक विकास के लिए हुआ होता तो आज किसी ने यह परम्परा तोडÞने की कोशिश नहीं की होती ।
धार्मिक एवं ऐतिहासिक यहाँ पर सैकडÞों तालाब हंै, मठ मन्दिर हंै, पर्यटकीय स्थल हैं, किन्तु कभी किसी ने इसका कैसे संरक्षण सर्म्बर्द्धन किया जाय इस मुद्दे पर आवाज नही उर्ठाई है । मन्दिर की सबसे बडÞी परम्परा रही है कि मन्दिर के सामने किसी भी ऊँचे भवन का निर्माण नही किया जाए, पर इस सवाल पर भी साधु सन्त, महन्थ, नागरिक समाज चुप रहे । प्रत्येक महीने में यहाँ पर धार्मिक मेला लगता है इसका व्यवस्थापन और ज्यादा से ज्यादा कैसे तर्ीथयात्रीगणको लाया जाए इसकी किसी को चिन्ता नही है । मन्दिर के भीतर जुता, चप्पल ही नही मलमूत्र भी किया जाता है, किन्तु सभी की आँखें बन्द हैं, कहीं से कोई आवाज नही आती है, आखिर क्यो -
आज जिस प्रकार से महन्थ नियुक्ति प्रकरण की आवाज साधुसन्त, महन्थ, राजनीतिक दल, नागरिक समाज, बुद्धिजीवी, व्यापारी वर्ग ने उर्ठाई है, पर्ूव के क्रियाकलाप में भी अगर ऐसी आवाज उठी होती तो जो कुछ शंका उपशंका आज आम लोगों के भीतर है वह नही होती । जनकपुर के धार्मिक दृष्टि से विकास के लिए जानकी मन्दिर का ट्रस्टीकरण आवश्यक है । सदियों से चलती आ रही परम्परा को ऐसे अचानक खत्म करने का निर्ण्र्ाानहीं लेना चाहिए, हाँ अगर सुधार की आवश्यकता थी तो पर्ूव जानकारी तो सामान्य जनता को होनी ही चाहिए । ‘जानकी मन्दिर बचाओ हस्ताक्षर अभियान’ बोर्ड क्या सन्देश देता है, यह तो नही मालूम, परन्तु इतना जरूर हैं कि जानकी मन्दिर बचाना है तो ट्रस्टीकरण कर दिया जाय जो यहाँ की आम जनता भी चाहती है ।
गुठी द्वारा अनियमितता का आरोप
गुठी संस्थान केन्दी्रय कार्यालय काठमाण्डू ने जानकी मन्दिर के महन्थ रामतपेश्वर पर अनियमितता का आरोप लगाया है । सञ्चालन समिति के माघ १७ गते सम्पन्न हुए बैठक में लिए गए निर्ण्र्ाासे प्रकाशित विज्ञप्ति में लिखा है कि ‘महन्थ राम तपेश्वर दास ने अभी तक अपनी मनमानी से घर निर्माण कर भाडÞ परे लगाने का काम किया है । उतना ही नही जबसे मन्दिर के महन्थ रामतपेश्वर हुए हंै, किसी भी हिसाब -किताब से संस्थान को अवगत नहीं कराया गया है ।’
विज्ञप्ति में यह भी लिखा गया था कि पाँच वर्षके लिए उन्हें जानकी मन्दिर के महन्थ पद पर नियुक्त किया गया था । उसकी समयावधि खत्म हो चुकी है इसलिए उनके स्थान पर जगदीश दास वैष्णव को नियुक्त किया गया है । परन्तु अदालत ने स्पष्ट मिति और समयावधि उल्लेख नही होने के कारण स्पष्टीकरण पूछ कर पत्र को रद्द कर दिया था ।
महन्थ ने कहा ‘चाभी लौटा दो’
परम्परा को तोडÞने वाले किसी भी व्यक्ति पर कार्रवाई आवश्यक है । जानकी मन्दिर महन्थ नियुक्ति धार्मिक परम्परा के विरोध में किया गया है, जिसका साधु सन्त, महन्थ, नागरिक समाज, कुछ राजनीतिक दल, युवाओं ने खुलकर विरोध किया ।
मैं एक बात और स्मरणीय कराना चाहता हूँ, राजतन्त्र के विरोध में धनुषा के सुपुत्र युवा दर्ूगानन्द झा ने राजा महेन्द्र पर बम फेका था जिन्हे फाँसी दी गयी । राजतन्त्र के अन्त के बाद जब पर्ूव राजा ज्ञानेन्द्र जनकपुर के तिरहुतिया गाछी के आम सभा में सहभागी हुए तो जानकी मन्दिर के महन्थ रामतपेश्वर दास ने कहा ‘राजा ने जनता को गाडÞी दी थी चलाने के लिए, जब जनता गाडÞी नही चला सकी तो उन्हे गाडÞी की चाभी लौटा देनी चाहिए ।’
उनका स्पष्ट कहना था कि नेपाली जनता गणतन्त्र नही चला सकी । फिर से राजा को राजतन्त्र  लौटा दें । जब गैर राजनीतिक दल की सरकार से खिलराज रेग्मी जनकपुर जानकी मन्दिर दर्शन के लिए आए तो उन्होंने ज्ञापन-पत्र सहित विनती चढÞाते हुए कहा ‘सरकार पैसा के खेल में जानकी मन्दिर के सदियों की परम्परा को तोडÞने का प्रयास कर रही है । इसका किसी प्रकार निराकरण करें ।’महन्थ की यह राजनीतिक परम्परा कौन सा सन्देश देती है और जनता से क्या उम्मीद रखती है यह तो जनता ही जाने । इससे भी बहुत बडी चुनौती राजनीतिक दलों को है कि अगर गणतन्त्र नही चाहते हंै तो महन्थ का साथ दंे ।व्
जानकी मन्दिर ट्रस्टीकरण हो
जानकी मन्दिर जनकपुर ही नही अपितु नेपाल की भी पहचान है । धार्मिक दृष्टि से जनकपुर के विकास के लिए ‘जानकी मन्दिर ट्रस्टीकरण’ आवश्यक है । किसी भी मन्दिर के महन्थ का राजनीति से कोई ताल्लुक नही होना चाहिए । मठ मन्दिर सभी के लिए बराबर  है । जानकी मन्दिर महन्थ नियुक्ति प्रकरण बहुत दुःख की बात है ।
रत्नसागर मठ के महन्थ और जानकी मन्दिर के महन्थ के बीच का अर्न्तर्द्वन्द से बाहर गलत सन्देश जाता है । जनकपुर धार्मिक पर्यटकीय स्थल है और यहाँ पर दूर दराज से तर्ीथयात्रीगण आते हैं, जिनपर इन सब बातों का अच्छा प्रभाव नहीं पडÞेगा । सुप्रिम कोर्ट ने जो आदेश जारी की है उसे सभी को मानना होगा । गलत करने वाले को सजा देने के लिए न्यायालय है । मठ मन्दिर का राजनीतिकरण कभी नही होना चाहिए । महन्थ का काम होता है धर्म प्रचार में लगना न कि नारा जुलुस और तोडÞफोडÞ करना ।

Sunday, March 16, 2014

महामूर्खहरुसँग

जनकपुरको जानकी मन्दिरमा मिथिला नाट्यकला परिषद् द्वारा आयोजित महामूर्ख सम्मेलनमा महामुर्ख डा. विजय कुमार, प्रोफेसर विजय दत्त, नेपाल पत्रकार महासंघका नि.वर्तमान अध्यक्ष रामअशिष यादवसँग कैलास दास र अन्य महान व्यक्तित्वहरु ।